एक बार एक चील अपने खाने के तलाश में घूम रही थी. तभी उसने जमीन पर दाना खातें हुए मुर्गी के बच्चो को देखा. चील अपने पंख सिकोड़ कर नीचे उतरी और एक बच्चे को उठा ले गयी. उस दिन का खाना उसे मिल गया. सूरज पहाड़ी के पीछे डूब रहा था. शाम होने चली. चील अपने घोसले की तरफ जाने लगी. चील का घोसला एक बड़े पीपल के पेड़ पर था. उस पेड़ के ऊपर तरह तरह के पक्षी रहते थे. सभी पक्षी शोर मचाते हुए अपने अपने घोसले की तरंग जा रहे थे. चील अपने घोसले में पहुचीं.

budhi chil ki kahani - बूढी चील की कहानी

कुछ पक्षी अपने बच्चो के लिए लाया हुए आहार खिलने लगे. कुछ दिनों बाद चील बूढी हो गयी, उसके पंख भी कमजोर हो गए, उसे अब ठीक से दिखना भी बंद हो गया था. चील बहुत अफ़सोस करने लगी. चील के बगल में रहने वाली पक्षी उस चील की हालात को देख रहे थे. और आपस में बात कर रहे थे की बेचारा चील अब बूढा हो गयी हैं. वो अपनी भूख भी नहीं मिटा पा रही हैं. उसका क्या होगा?

एक पक्षी ने कहा की एक काम करते हैं हम उसे भोजन देंगे. तभी मेड पक्षी ने खा की हम जो भोजन लाते है वो बच्चो के लिए ही कम पड़ता हैं. हम उसका पेट नहीं भर पाएंगे. थोड़ा भोजन ही दे सकते हैं.

नर पाखी ने कहा कि उसके लिए एक उपाय हैं. हमारी तरह और भी पक्षी के बच्चे हैं . ये चील हमारे और बाकी सभी पक्षियों के बच्चो की रखवाली करेगी. उसके बदले में पक्षी अपने आहार का थोड़ा हिस्सा चील को देंगे. मादा पक्षी ने भी इसलिए हामी भर दी और कहा इससे सभी के बच्चो की रक्षा भी हो जाएगी.

दोनों पक्षी उस चील के पास उड़कर गए. और चील से कहा चिंता मत करो हम तुम्हारे लिए भोजन लाएंगे. तुम हमारे बच्चो की अच्छी तरह से देखभाल करना.

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चील ने कहा – उसकी चिंता छोड़िये. मैं बच्चो की अच्छे तरीके से देखभल करुँगी. अगर कोई बच्चो को परेशान करेगा तो मैं उसे अपने चोंच से चिर दूंगी.

यह बात सुनके दोनों पक्षी बहुत खुश हुए. और अगले दिन सभी पक्षी झुण्ड बनाकर भोजन की तलाश में निकल गए. बड़ा चील इस डाल से उस डाल उड़कर बच्चो पर नज़र रखने लगी. कभी कभी पेड़ के ऊपर उड़कर इधर उधर देखती.

तभी उधार एक बिल्ली आई और मन ही मन फुसफुसाने लगी की मनुष्य बहुत ही समझदार हो गए हैं. थोड़ा सा दूध ही नही मिल पा रहा हैं. जब वो अंदर होते हैं तो मुझे अंदर नहीं आने देते और कही बाहर जाते हैं तो सारे दरवाज़े बंद कर के जाते हैं.

शहर में उसे भोजन न मिलने के कारण वो जंगल में बहुत दूर आ गयी और चलते चलते उसे प्यास लगने लगी.

तभी उसे कही से पानी की आवाज सुनाई दी. उसने पास जाकर देखा तो एक बहुत बड़ी नदी थी.

पानी पीते हुए उसे पुराने दिन याद आ गए जब वह पेट भर के दूध पीती थी.

इसी बीच उसे पक्षियों की चहचहाट सुनाई पड़ी. उसने एक बहुत बड़ा पेड़ देखा और अनुमान लगाया की इस पेड़ पर बहुत से पक्षी रहते होंगे. और ये आवाज उन पक्षियों के बच्चो की लगती हैं, वे उड़ नहीं सकते होंगे. सभी पक्षी खाने की तलाश में गए होंगे. मैं अपना काम कर लेती हूँ. यह कहकर बिल्ली मन ही मन खुश हुई. बिल्ली रेंगते हुए ऊपर चढ़ गयी. घोसले में छोटे छोटे पक्षी थे. बिल्ली ख़ुशी से धीरे धीरे बच्चो की तरफ बढ़ने लगी. उसकी आहट सुनकर बच्चे डर गायें और चिल्लाने लगे.

चील ने बच्चो की आवाज़ सुनकर सोचा की जरूर कोई मुसीबत आई हैं. उसे ठीक से दिखाई न देने के बावजूद वह जोर से चिल्लाई. उसने पूछा कौन हैं वहाँ.

कोई उत्तर न आने पर उसने वापस चेताया की अगर नहीं बताया तो मैं इसी वक़्त तुम्हें मार दूंगी.

बिल्ली ने सोचा की अब तो फस गए हैं कोई उपाय करना पड़ेगा.

वह चील के पास गयी और उसे उसे प्रणाम किया.

चील ने कहा- क्यों तुम मुझे कपट नमस्कार कर रही हो. तुम्हारी जान की खेर नहीं.

बिल्ली ने कहा: आप गुस्सा न हो. मैंने आपके बारें में बहुत सुना हैं. आपके गुणगान सुनकर मिलने की बहुत इच्छा हुई. मैंने आपको बहुत जगह ढूंढा. इतने दिनों बाद आपके दर्शन हुए. अब अगर मर भी जाऊ तो कोई गम नहीं. लेकिन मेरे आने की वजह आपको बतानी पड़ेगी.

चील ने कहा: तुम जरूर बच्चो को खाने ही आई होंगी.

यह सुनकर बिल्ली ने कहा: हे भगवान, मुझ पर इतना बड़ा इलज़ाम. आपके मुह से इतनी बड़ी बात सुनकर अब मेरा जीना बेकार हैं. आप जैसे संस्कारी के हाथो मरना ही मेरा लिए अच्छा हैं. तुरंत मुझे ऐसा सौभाग्य दीजिये.

चील ने कहा: अच्छा बताओ तुम क्या कहना चाहती हो.

बिल्ली ने कहा: महात्मा मुझे पूरी बात कहने दीहिए. एक बिल्ली के रूप में पैदा होना ही अभिशाप हैं. बिल्लिया मांस खाती है इसलिए आपका ये सोचना की मैं भी मांस खाती हूँ. गलत नहीं हैं. लेकिन में दूसरी बिल्लियों की तरह नहीं हूँ. मांस खाना मैं कभी का छोड़ चुकी हूँ. मैं पवित्र रहना चाहती हूँ. इसलिए मैं घास और आलू कहकर जीवनयापन कर रही हूँ. रोज़ मंदिर जाकर अच्छी बातें सिख रही हूँ.

चील ने खा : चुप रहो मैं तुम्हारी बात नहीं मानने वाला. मांस खाने वाली भक्षक.
ये सुनकर बिल्ली चिल्लाई हे भगवन मेरे ऊपर मांस खाने का आरोप. मांस का नाम सुन रही हूँ कितना बड़ा पाप.

ऐसा कहते हुए बिल्ली पेड़ से उतरकर, पानी में डुबकी लगा कर वापस चील के पास आती हैं.

चील ने पूछा ऐसा डुबकी मारकर क्यों आ रही हो?

बिल्ली ने कहा की मांस का नाम सुनकर मुझे ये करना पड़ा.

और खाना की हे महात्मा सुना हैं की आप सर्वगुण संपन्न हैं इसलिए मैं आपके पास ज्ञान प्राप्त करने आई हूँ.

चील उसकी बातों में आ गयी और उसे रोज़ आकर बात करने की अनुमति भी दे दी.

बिल्ली रोज़ उस पेड़ पर आने लगी और रोज़ कुछ पक्षियों के बच्चे गायब होने लगे. इस तरह बहुत बच्चे गायब हो गए. पक्षियों को ये बात समझ नहीं आ रही थी की बच्चे कैसे गायब हो रहे हैं .वे सभी तरफ घूम कर देखने लगे परंतु बच्चे कही भी दिखाई नहीं दिए. कुछ दूर देखने के बाद उन्हें पेड़ के नीचे बच्चों की हड्डिया दिखाई दी.

उन्हें देख के पक्षियों की लगा की ये सब चील कर रही हैं.

असल में बिल्ली रोज़ एक बच्चे को उठा कर ले जाती और खा लेती थी.

पक्षियों ने सोचा की भोजन देने के पश्चात् भी चील ने उन्हें नहीं बक्शा. सभी ने गुस्से में आकर चील पर हमला बोल दिया और उसे मर दिया.

इसलिए हमें अनजान लोगो पर भरोसा नहीं करना चाहिए.