मिटटी का घड़ा और ताकतवर पडोसी ताम्बे का पतीलाएक बार एक नदी में बाढ़ आ गयी|

बाढ़ इतनी विकराल थी की आसपास के सभी गांव डूब गए|

जैसे -तैसे लोग तो बच गए| मगर उनके मवेशी और सामान बाढ़ में बह गए |

बाढ़ के पानी में ढेरों चीजें बह रही थी|

उसी सामान में मिटटी का घड़ा और एक ताम्बे का पतीला भी बह रहे थे|

ताम्बे के पतीले ने मिट्टी के घड़े से कहा,”अरे भाई घड़े! हम एक ही जाति के है| तुम नरम मिट्टी के बने हो और बहुत नाजुक हो| अगर तुम चाहो तो मेरे निकट आ जाओ| मेरे निकट रहने से तुम सुरक्षित रहोगे| कठोर चीजों से में तुम्हारी रक्षा करूँगा|”

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“महाशय! इस हमदर्दी के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद ! मगर आप शायद भूल रहे है की आप भी बेहद कठोर व बलिष्ट है | यदि आपने हंसी -हंसी में भी मुझे टक्कर मार दी तो मेरा जिस्म टुकड़े-टुकड़े हो जायेगा | यदि आपको सचमुच मेरी चिंता है तो कृपा मुझसे दूर ही रहे| “कहकर मिट्टी का घड़ा तेजी से एक और बह गया |