खामोश हूँ तो सिर्फ़ तुम्हारी खुशी के लिए…..ये न सोचना की मेरा दिल दुःखता नहीं ….!!


तेरी आँखों से यून तो सागर भी पिए हैं मैने,तुझे क्या खबर जुदाई के दिन कैसे जिए हैं मैने…


टूट जायेंगी उसकी “ज़िद” की आदत उस वक़्त…जब मिलेगी ख़बर उनको की याद करने वाला अब याद बन गया है…


दर्द काफी है बेखुदी के लिए, मौत काफी है ज़िन्दगी के लिए, कौन मरता है किसी के लिए, हम तो ज़िंदा है आपके लिए…


“हमें रोता देखकर वो ये कह के चल दिए कि रोता तो हर कोई है, क्या हम सब के हो जाएँ |”


एक ग़ज़ल तेरे लिए ज़रूर लिखूंगा;बे-हिसाब उस में तेरा कसूर लिखूंगा;टूट गए बचपन के तेरे सारे खिलौने;अब दिलों से खेलना तेरा दस्तूर लिखूंगा।

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बिखरा वज़ूद, टूटे ख़्वाब, सुलगती तन्हाईयाँ …. कितने हसींन तोहफे दे जाती है ये अधूरी मोहब्बत


न जाने कैसे आग लग गई बहते हुये पानी में..हमने तो बस कुछ ख़त बहाये थे, “उसके नाम के“…


मुझे मंजूर थे वक़्त के सब सितम मगर , तुमसे मिलकर बिछड़ जाना, ये सजा ज़रा ज्यादा हो गयी।।


“बहुत भीड़ हो गई तेरे दिल में “जालिम”, अच्छा हुआ हम वक्त पर निकल गए ।”


मुझको ढुँढ लेता है रोज किसी बहाने से, दर्द वाकिफ हो गया हैँ मेरे हर ठिकाने से…


“में तो वो खो रहा हूँ जो मेरा ना था, पर तुम वो खो रही हो जो सिर्फ तुम्हारा था |”


हम रूठे दिलों को मनाने में रह गए; गैरों को अपना दर्द सुनाने में रह गए; मंज़िल हमारी, हमारे करीब से गुज़र गयी; हम दूसरों को रास्ता दिखाने में रह गए।


उसने कहा भूल जाओ मुझे , हमने कह दिया , कौन हो तुम ?