हम आपके लिए लाये हैं “नहले पे दहला – Short Stories in Hindi” आशा करता हूँ की ये आपको जरूर पसंद आएँगी

नहले पे दहला - Short Stories in Hindi

लुधियाना के पास एक गांव में बहुत से लोग रहते थे | वे प्राय: शहर में नौकरी करते थे |
उसी गांव में किशन सिंह नामक एक व्यक्ति भी रहता था|

वह एक बड़े कारखाने में काम करता था | उसका वेतन कम था| इसलिए उसका निवाह बड़ी कठनाई से होता था| परन्तु किशन सिंह और उसकी पत्नी जब भी बाहर निखलते और साफ कपडे पहनकर निखलते और गांव में सब लोग उन्हें धनी समझते थे | किशन सिंह का घर भी बहुत साफ़ – सुथरा था |

रात का समय था| एक चोर ने किशन सिंह का घर देखा | सारे गांव में उसे यही घर धनी प्रतीत हुआ| उससे दीवार में सेंध लगाई| परन्तु जब मकान के अंदर जाकर सारे कमरे देख लिए, तो चोर को वहॉ कोई मूलयवान वस्तु हाथ न लगी| चोर सोचा, “इन्होने अवश्य ही अपना धन कही दबा कर रखा होगा |”

यह सोचकर चोर ने छुरा निकाला | फिर वह किशन सिंह की छाती पर चढ़कर बोला, “बताओ तुमने धन कहा छुपा रखा है ?”

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किशन सिंह ने घबराकर कहा.”मेरे पास धन ही कहा है जो दबाकर रखता ?”

चोर ने उसे दबाकर थप्पड़ मारा और कहा, “यह छुरा देखते हो ? अभी तुम्हारे सीने में घुसेड़ दूंगा | बोलो कहा है धन |”
इतने में किशन सिंह की पत्नी की नींद खुल गयी| वह जल्दी से वहां आयी और आकर चिल्लाई,

” दार जी ! क्या रुपया प्राणो से भी प्यारा है? जीवित रहोगे तो धन कमाओगे | इसे उस अगली कोटरी में क्यों नहीं लेकर जाते, जहाँ धन रखा है| इसे बता दो| यह अपने आप खोद-खाद कर निकाल लेगा| ”

किशन सिंह की पत्नी की बात मान ली| वह चोर को अगली कोटरी में ले गया | ज्यों ही चोर भीतर गुसा, किशन सिंह को उसकी पत्नी ने बहार खींच लिया| फिर उसने बाहर से कोटरी का कुंडा लगा दिया| ऊपर से ताला ठोक दिया |
अब चोर लगा गिड़गिड़ाने | और कहने लगा, “भूल हुई सरदार | मुझे माफ़ कर दो ”

किशन सिंह की पत्नी ने कहा, “तुम्हारे हाथ में छुरा है | अभी पुलिस को बुलाती हूँ | पुलिस वालो से कहूँगी की तुम हमारी हत्या करने आये थे | तुम्हें उम्र कैद न करवाई तो मेरा नाम नहीं |”

चोर हाथ जोड़कर खुशामद करने लगा | बोला-“बहन जी ! एक बार माफ कर दो | जिंदगी-भर चोरी नहीं करूँगा| बस एक बार माफ़ कर दो|”

किशन सिंह की पत्नी ने कहा , “पहले छुरा खिड़की से बाहर फेको, तब तुम्हारी कोई बात सुनूंगी ”
चोर ने छुरा खिड़की से बाहर फेंक दिया ! तब किशन सिंह को ललकार कर उसकी उसकी पत्नी ने कहा, “क्या तुम कमजोर हो ? चलो चोर से अपनी मार का बदला लो |”

पत्नी की ललकार सुनकर किशन सिंह का खून खोल उठा | ताला खोलकर वह कोटरी में गया और चोर पर टूट पड़ा| कुछ ही देर में उसने मर- मारकर चोर का भुर्ता बना दिया | चोर पीटते-पीटते बेहोस हो गया| जब वह कहने लगा , “शाह जी, इस बार माफ़ कर दो | आगे से कभी चोरी नहीं करूँगा |”

किशन सिंह ने कहा , “अभी कैसे छोड़ दू ? सो रूपये तो मकान का किराया देना है|”

चोर ने जैब से सो रूपये का नोट निकालकर दिया और कहा ,”लो अब तो माफ़ कर दो |”

किशन सिंह तो शायद चोर को माफ़ कर देता ,किन्तु उसकी पत्नी ने कहा ,”दो -सो रुपये आटे- दाल वाले को और बिसाती को भी देने है |”

चोर ने दीनता से कहा,”इस समय तो मेरे पास और रूपये नहीं है पर मैं वायदा करता हूँ, तुम्हें भेज दूंगा |”
किशन सिंह की पत्नी बोली ,” और सो रुपये दूध वाले को भी देने है|” चोर ने कहा, अच्छा कल तीन सो रुपये भेज दूंगा |”

किशन सिंह की पत्नी बोली, सावन का महीना है | तीज के दिन ननद को साड़ी देने है| उसके लिए दो सो रुपये चाहिए|”

चोर ने कहा, अच्छा कुल पांच सो हुए, मैं दे दूंगा| बस अब मुझे छोड़ दो|

किशन सिंह की पत्नी ने कहा मैं तुम्हारा विश्वास नहीं करती | यह लो कलम -दवात और कागज | इस पर अपनी पत्नी क नाम के नाम की चिट्टी लिख दो वह चिट्टी लाने वाले को पांच सो रुपये दे दे|

चोर तो फसा हुआ था इंकार कसे करता? उसने चिट्टी लिखकर दे दी |तब किशन सिंह की पत्नी ने अपने पति को कहा- “चलो जी ! इसे अंदर करके कोटरी का ताला लगाओ और इसके घर से पांच सो रुपये लाओ|”

किशन सिंह ने ताला लगा दिया |और पैसे लेने चला गया | कुछ ही देर बाद किशन सिंह पांच सो रुपये लेकर वापस आ गया|

उसके बाद उन्होंने चोर को आजाद कर दिया |

आजाद होते ही चोर सिर पर पाँव रखकर भाग गया|

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