Return From Gallows | फांसी से वापसी | Akbar Birbal Ki Kahani

Akbar Birbal Ki Kahani Return From Gallowsएक बार बादशाह अकबर अपने कक्ष में बैठे हुए अपनी बेगम से बात कर रहे थे

बातों ही बातों में उनकी बेगम ने कहा की हमने अक्सर दरबार में आपको बीरबल की तरफदारी करते हुए देखा है.

इस पर बादशाह ने कहा कि हम आपको कितनी बार समझा चुके हैं कि हमारे सारे वजीरों में बीरबल सबसे होशियार है.

इस पर भी उनकी बेगम ने कहा कि मानसिंह भी होशियार है लेकिन आप हमेशा उन्हें नजरअंदाज कर देते हैं यह जानते हुए भी कि वह हमारे भाई हैं.

बादशाह ने कहां कि एक बादशाह को अपने सबसे अकलमंद वजीर पर निर्भर रहना पड़ता है और हमारे दरबार में ऐसे वजीर है बीरबल. मानसिंह बेशक आप के भाई हैं लेकिन ज्यादातर बीरबल की ही राय सही होती है.

इस पर उनकी बेगम ने कहा कि यह आप कैसे कह सकते हैं कि मानसिंह बीरबल जितने होशियार नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि अगर एक मौका मिले तो मानसिंह भी बीरबल से ज्यादा नहीं तो बीरबल के बराबर होशियारी दिखा सकते हैं उन्हें एक मौका तो दीजिए.

बादशाह अकबर ने कहा ठीक है हम उन दोनों को एक दौरे पर भेजेंगे और हमें यह भी यकीन है कि बीरबल की वजह से ही दोनों कामयाब लौटेंगे. इससे आपको भी यकीन हो जाएगा कि बीरबल के बारे में हमारी राय सही है.

हम बीरबल और मानसिंह दोनों को भी कल ईरान के लिए रवाना होने के लिए कहेंगे.

उनकी बेगम ने पूछा कि आप उन्हें इरान क्यों भेज रहे हैं? बादशाह कहते हैं कि उनके आने पर आपको सब पता चल जाएगा.

अगले दिन बादशाह अकबर ने बीरबल और मानसिंह दोनों को सभा में बुलाया और कहा कि हम चाहते हैं कि आप दोनों इरान जाएं, शाह-ए-ईरान के लिए हमारा पैगाम लेकर. हम उनके लिए कुछ तोहफे फिर भी देना चाहते हैं इसलिए हमने अपने सबसे भरोसेमंद वजीरों को भेजने का फैसला किया है

मानसिंह कहते हैं हुजूर इस सम्मान के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया. मैं आपको यकीन दिलाता हूं कि हम दोनों आपका मान जरूर रखेंगे.

बीरबल ने पूछा कि हमें कब निकलना होगा हुजूर.

बादशाह अकबर ने कहा कि हम चाहते हैं कि आप दोनों आज ही निकल जाएं और शाह-ए-ईरान के साथ कुछ दिन बिता कर उनका जवाब लेकर लौटे.

उन्होंने अपना सर हां में हिला दिया और अगले दिन वह दोनों इरान के लिए निकल पड़े.

ईरान पहुंचने पर उन दोनों ने शाह-ए-ईरान के सामने स्वयं का परिचय दिया. और बताया कि हम बादशाह अकबर के राजदूत हैं.

शाह ने भी उनका बहुत अच्छा स्वागत किया. शाह ने बताया कि वह दोनों को पहले से ही जानते हैं.

तभी मानसिंह कहते हैं कि हुजूर हम बादशाह की तरफ से आपके लिए एक पैगाम लाए हैं.

शाह को बादशाह का पैगाम पढ़कर बहुत ही आश्चर्य होता है और अपने मंत्री से कहते हैं कि मुझे इस पर यकीन नहीं हो रहा. बादशाह यह चाहते हैं कि हम इन दोनों को फांसी पर लटका दें. वह अपने मंत्री से सलाह मांगते हैं.

उनका मंत्री कहता है कि बादशाह सलामत ने यह पैगाम भेजा है इसलिए मुझे लगता है कि आपको उनकी बात माननी चाहिए.

शाह कहते हैं कि हम उनका गुनाह जाने बिना इन्हें सजा कैसे दे सकते हैं? और उन्हें सजा देने के लिए यहां पर क्या भेजा गया है

शाह के मंत्री कहते हैं कि हुजूर जरूर कोई कारण होगा इसलिए उन्होंने इन दोनों को अपने देश में सजा नहीं दी. शायद उन्हें बगावत का डर होगा क्योंकि यह दोनों ही है अपने देश में बहुत मशहूर है.

मंत्री की बात सुनकर शाह ने कहा कि शायद आप सही कह रहे हैं हमारे पास और कोई रास्ता भी नहीं है. हमेशा शहंशाह की मर्जी पूरी करनी ही पड़ेगी. उन्होंने अपने सैनिकों को आदेश दिया कि वह मानसिंह और बीरबल को बंदी बना ले और यह घोषणा की कि इन दोनों को कल सुबह फांसी पर चढ़ा दिया जाएगा.

मानसिंह यह सब सुन कर हक्के-बक्के रह गए और शाह से पूछने लगे कि हुजूर हमें फांसी पर क्यों चढ़ाया जाएगा?? हमारा गुनाह क्या है??

शाह कहते हैं कि हमारा ऐसा मानना है कि क्या पहले से ही अपने गुनाहों से वाकिफ हैं और यह हमारी नहीं बल्कि आपके बादशाह की मर्जी है.

मानसिंह ने कहा कि मुझे यकीन है कि आपको कोई गलतफहमी हुई है बादशाह ऐसा नहीं कर सकते.

शाह कहते हैं कि अफसोस गलतफहमी नहीं हुई है. आप शहंशाह का जो पैगाम हमारे पास लाए हैं उससे में यही लिखा गया है.

सा अपने सिपाहियों का आदेश देते है कि उन दोनों को ले जाए. मानसिंह शाह के सामने गिड़गिड़ाते रहे लेकिन शाह ने उनकी एक नहीं सुनी.

मानसिंह और बीरबल दोनों को कारागार में डाल दिया गया. मानसिंह बहुत ही बौखलाए हुए थे उन्हें बस इसी बात का डर था कि कल उन्हें फांसी पर लटका दिया जाएगा और वहीं दूसरी और बीरबल एकदम शांत थे. उन्होंने बीरबल से कहा कि हमें कल फांसी लगने वाली है और तुम्हें कोई चिंता ही नहीं है. जब सजा सुनाई जा रही है तब भी तुमने एक शब्द भी नहीं कहा.

इस पर बीरबल ने कहा कि शांत हो जाइए मानसिंह जी. यकीन मानिए हमें कुछ नहीं होगा.

मानसिंह कहते हैं कि क्या कुछ नहीं होगा. क्या तुम्हें पता भी है कल हमें फांसी लगने वाली है और तुम कहते हो कि कुछ नहीं होगा.

बीरबल कहते हैं धीरज रखिए. मैं आपको यकीन दिलाता हूं हम इस मुसीबत से जरूर निकलेंगे और वह भी जिंदा. मैं बस यह जानना चाहता हूं कि बादशाह सलामत हैं ऐसा क्यों किया.

मानसिंह ने कहा बीरबल तुम्हारा दिमाग खराब है. बादशाह ने ऐसा किस लिए किया तुम्हें इस बात की फ़िक्र पड़ी है जबकि हमें मुसीबत से निकलने के तरीके ढूंढने चाहिए.

बीरबल ने पुनः अपनी बात दोहराई कि हम कल सुबह तक यहां से आजाद हो जाएंगे. मैं आपको जैसा कहूं आपको वैसा ही करना होगा और बीरबल ने मानसिंह को एक युक्ति बताई.

अगले दिन जब उन्हें फांसी पर चढ़ाया जा रहा था तब बीरबल और मानसिंह बारी-बारी से कहने लगे की पहले मुझे फांसी पर चढ़ाइए. एक बार बीरबल कहता कि मुझे पहले मुझे फांसी होनी चाहिए और फिर उसके बाद मानसिंह कहता नहीं हुजूर पहले मुझे फांसी होनी चाहिए. यह क्रम कुछ देर चलता रहा और वे दोनों आपस में लड़ने लगे.

यह सब देखकर शाह ने कहा आप दोनों पागल हो गए हैं. क्या आप दोनों को डर नहीं लगता? अब दोनों ही मरने के लिए बेताब क्यों है?

बीरबल ने कहा डरना किसलिए हुजूर?? ऐसे ही इनाम के लिए तो हम खुशी से मरने के लिए तैयार है.

शाह ने बड़े आश्चर्य से पूछा किस तरह का इनाम…???

बीरबल ने कहा हुजूर हमारे दरबार के राजपुरोहित ने एलान किया था कि आज यहां पर जिसको पहले फांसी दी जाएगी वह अगले जन्म में शाह बनेगा और जिसको बाद में वह प्रधानमंत्री.

शाह को यह सब सुनकर आश्चर्य हुआ. उसने कहा यह कैसे संभव हो सकता है???

मानसिंह ने कहा यह बिल्कुल सच है हमारे राजपुरोहित कभी गलत साबित नहीं हुए. पहले मुझे फांसी पर लटका दीजिए हुजूर.

शाह के मंत्री उनके कान में कहते हैं कि हुजूर हमें एक बार फिर सोच लेना चाहिए इनकी बातें तो सच लगती हैं.

शाह पूछते हैं कि अब हम क्या कर सकते हैं? बादशाह को बिना नाराज किए उनका कहा कैसे टालें?

मंत्री कहते हैं कि आप इन दोनों के साथ उन्हें पैगाम भिजवा सकते हैं कि बिना इन दोनों का जुर्म जाने इन्हें फांसी पर नहीं लटका सकते. इस तरह आप इसका जिम्मा शहंशाह पर ही डाल दें.

शाह ने अपने मंत्री से कहा तुम सही फरमा रहे हो. हमें ऐसा ही करना चाहिए. यह कहते हुए शाह ने मानसिंह और बीरबल दोनों को आजाद कर दिया और कहा कि हमें कुछ गलतफहमी हो गई थी. आप दोनों हमारा पैगाम लेकर जहांपनाह के पास लौट जाएं.

दोनों ने शाह का अभिवादन किया और वहां से अपने देश के लिए निकल पड़े.

जैसे ही वह दोनों बादशाह अकबर के दरबार में पहुंचे. बादशाह ने उनका स्वागत किया और पूछा कैसी रही आप दोनों की यात्रा.

बीरबल ने कहा अच्छी रही हुजूर.

बादशाह ने कहा कि हम अपनी हार स्वीकार करते हैं अब हमें यह बताइए कि आपने उस समस्या का मुकाबला कैसे किया.

तभी मानसिंह ने पूछा कि हुजूर हमें बताइए कि हमें उस समस्या में क्यों डाला गया?? हमारी गलती क्या थी??

बादशाह ने कहा आपकी कोई गलती नहीं थी. हम आपका इंतिहान ले रहे थे. हम यह जाने के लिए बेचैन है कि आप दोनों वापस कैसे लौटे.

मानसिंह ने बताया कि बीरबल की होशियारी की वजह से ही आज हम दोनों जिंदा है और मानसिंह ने बादशाह अकबर को पूरी घटना के बारे में बताया.

बादशाह ने कहा कि हम माफी चाहते हैं कि हमने आपको इस मुसीबत में डाला पर यकीन कीजिए हमने सिपाही के साथ एक दूसरा पैगाम भी भेजा था. वह पैगाम शाह-ए-ईरान को दिया जाता आप दोनों को फांसी से बचाने के लिए.

बादशाह ने बीरबल से कहा कि आपने फिर साबित कर दिया कि आपको कोई मात नहीं दे सकता. आप किसी भी मुसीबत का होशियारी से सामना कर सकते हैं. शाबाश बीरबल शाबाश. रानी ने भी उनकी बहुत सराहना की.

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