अपने परम भक्तों, जो हमेशा मेरा स्मरण या एक-चित्त मन से मेरा पूजन करता है, मैं व्यक्तिगत रूप से उनकी कल्याण की जिम्मेदारी लेता हूं – भगवत गीता


 

मानव जाति का एकमात्र लक्ष्य ज्ञान है – स्वामी विवेकानंद


हे अर्जन! हम दोनों ने कई जन्म लिए हैं मुझे याद है, लेकिन तुम्हे नहीं हैं – भगवत गीता


राम के नाम में राम से ज्यादा शक्ति है.


शास्त्रों में दुनिया के हर आध्यात्मिक प्रश्न का उत्तर मौजूद है.

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आप वे बन जाते हैं जो आप सोचते हैं – ओशो


कमजोर होना हीं सबसे बड़ा पाप है.


जब भक्ति भोजन में प्रवेश में करती हैं तो भोजन प्रसाद बन जाता हैं, जब भक्ति पानी में प्रवेश करती हैं तो वह पानी अमृत बन जाता हैं, जब भक्ति घर में प्रवेश करती हैं तो घर मंदीर बन जाता हैं, और जब वही भक्ति इंसान के मन में प्रवेश करती हैं तो वो इंसान भक्त बन जाता हैं.


जो मन को नियंत्रित नहीं करता है उनके लिए वह शत्रु के समान काम करता है – भगवत गीता


केवल मन ही किसी का दोस्त और शत्रु होता है – भागवत गीता