भारत के प्रोफेशनल पहलवान दिलीप सिंह राणा जिन्हें हम आमतौर पर द ग्रेट खली के नाम से जानते हैं। खली एक ऐसा नाम है जिसने देश विदेश के बड़े-बड़े पहलवान के छक्के छुड़ाए हैं और रेसलिंग के खेल में भारत का नाम रोशन किया है। द ग्रेट खली ने जॉन सीना और XXX जैसे खूंखार फाइटर को हराकर 2007-2008 के वर्ल्ड हैवीवेट चैंपियनशिप में जीत हासिल की लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि इतने महान रेसलर ने अपना जीवन बहुत कठिनाइयों से शुरू किया। उनके पिता एक किसान थे और घर के हालात कुछ इस तरह खराब थे कि बचपन में उन्हें पढ़ाई छोड़कर अपना पेट पालने के लिए मजदूरी करनी पड़ी लेकिन खली ने हार ना मानते हुए अपने आप को एक ऐसे मुकाम पर ला दिया कि वह आज अपने साथ-साथ अपने गांव के विकास के लिए भी पैसे खर्च करते हैं।द ग्रेट खली के प्रेरणादायक सफर को शुरू से जानते हैं।
दिलीप सिंह राणा का जन्म 27 अगस्त 1972 को हिमाचल प्रदेश के Dhirana गांव में हुआ। उनके पिता का नाम ज्वालाराम था जो खेतों में काम करके अपना घर चलाते थे। लेकिन खली को मिलाकर उनके साथ भाई-बहन थे और फैमिली बड़ी होने की वजह से सिर्फ एक आदमी को घर चलाने में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता था इसलिए उनकी माँ तन्वी देवी भी मजदूरी करती थी।
खली भी अपने परिवार की आर्थिक हालत को देखते हुए ज्यादा दिनों तक पढ़ाई नहीं कर सके और फिर गांव में ही मजदूरी करने लगे। गांव के लोग भी उनके हाइट और बॉडी का फायदा उठाते थे और सभी भारी-भरकम काम उन्हीं से करवाते थे लेकिन दोस्तों बहुत कम लोगों को पता है कि खली का ऐसा शरीर एग्रो मैगनेट डिजीज की नाम की बीमारी से ग्रस्त होने की वजह से हैं और इस बीमारी की वजह से उनका चेहरा भी थोड़ा अजीब दिखता है। गांव में तो सभी लोग खली के बॉडी और फेस से वाकिफ थे। जब कभी भी गांव से बाहर जाते थे तब लोग उन्हें देखकर इकट्ठे हो जाते और उनका मजाक बनाते थे। इन बातों का खली को बहुत दुख होता था।
कुछ दिनों तक गांव में मजदूरी करने के बाद जब वह भी ज्यादा पैसों की जरूरत पड़ने लगी तो वे अपने गांव से शिमला चले गए और फिर वहां जाकर सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने लगे। लेकिन यह भी उनके लिए काफी नहीं था क्योंकि काम करने के बाद उन्हें जितना भी पैसा मिलता था उससे उनकी डाइट भी पूरी नहीं हो पाती थी और पैसे घर भेजने की तो बात ही छोड़ दीजिए। तब शिमला घूमने आए एक पंजाब पुलिस अफसर की नजर खली पर पड़ी और वह भी उनके शरीर को देखकर मानो दंग रह गए। फिर उन्होंने खली की आर्थिक सहायता करते हुए उन्हें पंजाब पुलिस में शामिल होने को कहा। आखिरकार 1993 में खली को पंजाब पुलिस में नौकरी मिल गई और तब जाकर खली की जिंदगी धीरे धीरे पटरी पर लौटने लगी। लेकिन खली अभी रुकने वालों में से नहीं थे। उनकी बॉडी को देखते हुए उन्हें जालंधर के जिम में रेसलिंग के लिए तैयार किया गया क्योंकि उस समय रेसलिंग के खेल को लोग बहुत तेजी से पसंद कर रहे थे और भारत की तरफ से खेलने वाला कोई भी खिलाडी नहीं था।
आखिरकार पूरी तैयारी के साथ अक्टूबर 2000 में खली अमेरिका पहुंचे और पहली बार ऑल प्रो रेसलिंग मैं पार्टिसिपेट किया। जैसे ही पहले दिन खली ने वहा कदम रखा उन्हें देखकर बड़े-बड़े रेसलर भी कांप उठे। यहां तक कि 28 मई 2001 को खली की मार की वजह से ब्राइन ऑफ नाम के एक रेसलर की मौत तक हो गई।
2 जनवरी 2006 को खली WWE के साथ कॉन्ट्रैक्ट साइन करने वाले पहले भारतीय रेसलर बने। इसके बाद उन्होंने अंडरटेकर जैसे ताकतवर रेसलर को भी 10 मिनट में हराकर सबका ध्यान आकर्षित किया। आगे चलकर बिग शो, मार्क हेनरी और बटिस्टा जैसे पहलवानों को मात देकर डब्ल्यूडब्ल्यूई का खिताब जीता। इसके बाद भी कई सालों तक खली का दबदबा कायम रहा और उन्हें बहुत सारा सम्मान और पुरस्कार मिला। डब्ल्यूडब्ल्यूई में सफर शुरू करना इतना आसान नहीं है यहां पैसा तो जमकर मिलता है मगर उसके लिए खूब पसीना बहाना पड़ता है लेकिन खली ने अपने संघर्षों से दिखा दिया दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं।
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