फादर्स डे हर साल जून के तीसरे संडे को मनाया जाता है. हम सभी के जीवन में पिता हमारे दिलों में एक विशेष स्थान रखते हैं. पिता के सम्मान और उनके कामों को सिर्फ एक दिन में बता पाना नामुमकिन हैं. लेकिन फादर्स डे पर हम उन्हें यह महसूस करा सकते है की वो हमारे लिए वो कितने स्पेशल हैं. इसलिए हम ने आपके लिए यह पोस्ट “5 Best Fathers Day Poems in Hindi” तैयार की है. जिसके माध्यम से आप पिता के प्रति अपनी भावनाओ को व्यक्त कर सकते हो.
“5 Best Fathers Day Poems in Hindi” (5 सर्वश्रेष्ठ पिता दिवस कविताएँ हिंदी में)
1.आज भी याद है बचपन के वो पल ,
जहाँ आँखों मे सपने और न ही दिलो मे छल था |
जहाँ पापा ने ऊँगली पकड़ कर चलना सिखाया,
वहीं उन्हीं के दिये आत्मविश्वास ने,
गिरते से भी उठना सिखाया |
हाथो मे बैग लेकर स्कूल जाना,
और अपनी मीठी-मीठी बातों से सबको लुभाना |
वहीं घर आकर पापा को रिझाना,
और प्यार से उनका, गले से मुझे लगाना |
कभी माँ की डॉट से पापा के पीछे छिप जाना,
तो खुद उनकी डॉट सहकर मुझे माँ से बचाना |
होली दिवाली पर अपने कपड़े भूल कर हमको नए कपडे दिलाना,
और खिलोनों की फरमाइश पर अपनी सेविंग से पैसे जुटाना |
जहाँ माँ ने संस्कारो मे रहना सिखाया,
वहीं पापा ने मुश्किलों से लड़ना सिखाया |
वो मेरा पापा से बार बार ऐसे वैसे प्रश्न पूछे जाना,
और मेरी नटखट बातो पर पापा का खिलखिलाकर हंस जाना |
लोग कहते है बेटी माँ का साया होती है,
पर जरुरी तो नहीं, वो हमेशा माँ जैसे ही होती है |
अगर बेटी माँ का साया होती है,
तो वहीं बेटी पापा की भी परछाई होती है |
जो अपनी सारी फ़र्माइशों को पापा से करती है
अपनी बात कहने से कभी ना डरती है ||
ऐसी ही बेटियाँ पापा की राजकुमारियाँ होती है,
जो हमेशा उनकी सासों में बसती है..||
आज भी याद है बचपन के वो पल…..
- “कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान है पिता
कभी धरती तो कभी आसमान है पिता
जन्म दिया है अगर माँ ने
जानेगा जिससे जग वो पहचान है पिता….”
“कभी कंधे पे बिठाकर मेला दिखता है पिता…
कभी बनके घोड़ा घुमाता है पिता…
माँ अगर मैरों पे चलना सिखाती है…
तो पैरों पे खड़ा होना सिखाता है पिता…..”
“कभी रोटी तो कभी पानी है पिता…
कभी बुढ़ापा तो कभी जवानी है पिता…
माँ अगर है मासूम सी लोरी…
तो कभी ना भूल पाऊंगा वो कहानी है पिता….”
“कभी हंसी तो कभी अनुशासन है पिता…
कभी मौन तो कभी भाषण है पिता…
माँ अगर घर में रसोई है…
तो चलता है जिससे घर वो राशन है पिता….”
“कभी ख़्वाब को पूरी करने की जिम्मेदारी है पिता…
कभी आंसुओं में छिपी लाचारी है पिता…
माँ गर बेच सकती है जरुरत पे गहने…
तो जो अपने को बेच दे वो व्यापारी है पिता….”
“कभी हंसी और खुशी का मेला है पिता…
कभी कितना तन्हा और अकेला है पिता…
माँ तो कह देती है अपने दिल की बात…
सब कुछ समेत के आसमान सा फैला है पिता….”
- मेरा साहस मेरी इज़्ज़त…मेरा सम्मान है पिता
मेरी ताकत मेरी पूंजी…मेरी पहचान है पिता ….!!
घर की एक एक ईट में…शामिल उनका खून पसीना …
सारे घर की रौनक उनसे.. सारे घर की शान है पिता !!
मेरी इज़्ज़त मेरी शौहरत… मेरा रुताब मेरा मान है पिता…
मुझे हिम्मत देने वाला मेरा अभिमान है पिता….!!
सारे रिश्ते उनके दम से सारी बाते उनसे है…..
सारे घर के दिल की धड़कन सारे घर की जान है पिता..!!
शायद रब ने देकर भेजा फल ये अच्छे कर्मो का …..
उसकी रहमत उसकी नियामत उसका है वरदान पिता…!!
- जब मम्मी डाँट रहीं थी
तो
कोई चुपके से हँसा रहा था,
वो थे पापा. . .
जब मैं सो रहा था
तब कोई चुपके से
सिर पर हाथ फिरा रहा था ,
वो थे पापा. . .
जब मैं सुबह उठा तो
कोई बहुत थक कर भी
काम पर जा रहा था ,
वो थे पापा. . .
खुद कड़ी धूप में रह कर
कोई मुझे ए.सी. में
सुला रहा था,
वो थे पापा. . .
सपने तो मेरे थे
पर उन्हें पूरा करने का
रास्ता कोई और बताऐ
जा रहा था ,
वो थे पापा. . .
मैं तो सिर्फ अपनी खुशियों में
हँसता हूँ,
पर मेरी हँसी देख कर
कोई अपने गम
भुलाऐ जा रहा था ,
वो थे पापा. . .
फल खाने की
ज्यादा जरूरत तो उन्हें थी,
पर कोई मुझे सेब खिलाए
जा रहा था ,
वो थे पापा. . .
खुश तो मुझे होना चाहिए
कि वो मुझे मिले ,
पर मेरे जन्म लेने की
खुशी कोई और मनाए
जा रहा था ,
वो थे पापा.
ये दुनिया पैसों से चलती है
पर कोई सिर्फ मेरे लिए
पैसे कमाए
जा रहा था ,
वो थे पापा.
घर में सब अपना प्यार दिखाते हैं
पर कोई बिना दिखाऐ भी
इतना प्यार किए
जा रहा था ,
वो थे पापा. . .
पेड़ तो अपना फल
खा नही सकते
इसलिए हमें देते हैं…
पर कोई अपना पेट
खाली रखकर भी मेरा पेट
भरे जा रहा था ,
वो थे पापा. . .
मैं तो नौकरी के लिए
घर से बाहर जाने पर दुखी था
पर मुझसे भी अधिक आंसू
कोई और बहाए
जा रहा था ,
वो थे पापा. . .
मैं अपने “बेटा” शब्द को
सार्थक बना सका या नही..
पता नहीं…
पर कोई बिना स्वार्थ के
अपने “पिता” शब्द को
सार्थक बनाए
जा रहा था ,
वो थे पापा!
I Love you Papa..
- पापा मेरी नन्ही दुनिया, तुमसे मिल कर पली-बढ़ी
आज तेरी ये नन्ही बढ़कर, तुझसे इतनी दूर खड़ी
तुमने ही तो सिखलाया था, ये संसार तो छोटा है
तेरे पंखों में दम है तो, नील गगन भी छोटा है
कोई न हो जब साथ में तेरे, तू बिलकुल एकाकी है
मत घबराना बिटिया, तेरे साथ में पप्पा बाकी हैं
पीछे हटना, डरना-झुकना, तेरे लिए है नहीं बना
आगे बढ़ कर सूरज छूना, तेरी आंख का है सपना
तुझको तो सूरज से आगे, एक रस्ते पर जाना है
मोल है क्या तेरे वजूद का दुनिया को बतलाना है
आज तो पापा मंजिल भी है, दम भी है परवाजों में
एक आवाज नहीं है लेकिन, इतनी सब आवाजों में
सांझ की मेरी सैर में हम-तुम, साथ में मिल कर गाते थे
कच्चे-पक्के अमरूदों को, संग-संग मिल कर खाते थे
उन कदमों के निशान पापा, अब भी बिखरे यहीं-कहीं
कार भी है, एसी भी है, पर अब सैरों में मज़ा नहीं
कोई नहीं जो आंसू पोछें, बोले पगली सब कर लेंगे
पापा बेटी मिलकर तो हम, सारे रस्ते सर कर लेंगे
इतनी सारी उलझन है और पप्पा तुम भी पास नहीं
ये बिटिया तो टूट चुकी है, अब तो कोई आस नहीं
पर पप्पा ! तुम घबराना मत, मैं फिर भी जीत के आउंगी
मेरे पास जो आपकी सीख है, मैं उससे ही तर जाऊंगी
फिर से अपने आंगन में हम साथ में मिल कर गाएंगे
देखना अपने मौज भरे दिन फिर से लौट के आएंगे
फादर्स डे की बधाई !
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