गाँधी जयन्ती पर भाषण
आदरणीय प्रधानाचार्य, शिक्षक और मेरे प्रिय मित्रों, आज 2 अक्टूबर के दिन हम गांधी जयंती मना रहे हैं। इस अवसर पर मैं अपने प्यारे गांधी जी के जीवन पर ध्यान केंद्रित करना चाहता हूँ। बापू का जन्म 2 अक्टूबर, 1896 को गुजरात में पोरबंदर नामक एक शहर में हुआ था। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था और मां का नाम पुतलीबाई थी। बापू अपनी उच्च माध्यमिक शिक्षा पूरी करने के बाद एक वकील बनना चाहते थे इसलिए 1888 के दौरान वे कानून के क्षेत्र में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड गए थे। चार साल के कठिन संघर्ष के बाद उन्होंने अपनी विधि की डिग्री पूरी की और 1891 में भारत आयें।
इंग्लैंड से वापस आने के बाद, वे काम की खोज में अफ्रीका गयें। उन दिनों दक्षिण अफ्रीका में भारतीय वकीलों की भारी मांग थी। वहां उन्होंने काम किया। गांधीजी ने अपनी जीवन काल के करीब 20 साल वहाँ बिताए। इन दिनों, दक्षिण अफ्रीका में नस्लवाद काफी हावी था। वे इस नस्लवाद का शिकार बन गएं। प्रथम श्रेणी के आरक्षण में वैध टिकट प्राप्त करने के बाद भी उन्हें चलती ट्रेन से बाहर फेंक दिया गया था। यह घटना से उनकी आत्मा बुरी तरीके से प्रभावित किया और उन्होंने जातिवाद की इस सामाजिक बुराई का विरोध करना शुरू कर दिया। वे दिन गांधीजी के लिए बहुत यादगार थे क्योंकि उन दिनों कस्तूरबा गांधी के साथ उनकी शादी हुई थी। वे जीवन के सभी क्षेत्रों में उनका समर्थन करती थीं।
वह 1915 में भारत लौट आए। उनकी वापसी के बाद उन्होंने गोपाल कृष्ण गोखले से मुलाकात की और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलनों के बारे में चर्चा की। उन्होंने खुद को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल किया और भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने 1920 में गैर-सहयोग आन्दोलन शुरू किया, जिसमें भारतीयों को ब्रिटिश के किसी भी काम में सहयोग न करने को कहा गया था। सन 1930 में उन्होंने लगभग 400 किमी की लंबी दूरी पर चलकर दांडी मार्च की का निर्माण किया। उन्होंने नमक के उत्पादन के खिलाफ ब्रिटिश कानून को तोड़ दिया। 1942 में उन्होंने ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ चलाया जिसके माध्यम से उन्होंने सत्तारूढ़ ब्रिटिशों को एक संदेश दिया कि हमारे देश को छोड़ दें और हम अपने देश का शासन चलने में सक्षम हैं। इन सभी प्रयासों ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को पीछे हटने को मजबूर कर दियां। अंत में, भारत को 15 अगस्त 1947 को अपनी स्वतंत्रता मिली।
30 जनवरी, 1948 को नथुराम गोडसे द्वारा उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गयी।
जय हिंद, जय भारत …।
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