हम आपके लिए लाये हैं “Karl Marx Quotes in Hindi” आशा करता हूँ की ये आपको पसंद आएँगी

Karl Marx Quotes in Hindi

शाशक वर्ग के विचार हर युग में सत्तारूढ़ विचार होते हैं, यानि जो वर्ग समाज की भौतिक वस्तुओं पर शाशन करता है, उसी समय में वह उसके बौद्धिक बल पर भी शाशन करता है। -कार्ल मार्क्स


इतिहास खुद को दोहराता है , पहले एक त्रासदी की तरह , दुसरे एक मज़ाक की तरह। -कार्ल मार्क्स


मानसिक पीड़ा का एकमात्र मारक शारीरिक पीड़ा है। -कार्ल मार्क्स


लोगों के विचार उनकी भौतिक स्थिति के सबसे प्रत्यक्ष उद्भव हैं। -कार्ल मार्क्स

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अमीर गरीब के लिए कुछ भी कर सकते हैं लेकिन उनके ऊपर से हट नहीं सकते। -कार्ल मार्क्स


यह बिल्कुल असंभव है कि प्रकृति के नियमों से ऊपर उठा जाए . जो ऐतिहासिक परिस्थितियों में बदल सकता है वह महज वो रूप है जिसमे ये नियम खुद को क्रियान्वित करते हैं। -कार्ल मार्क्स


धर्म मानव मस्तिष्क जो न समझ सके उससे निपटने की नपुंसकता है। -कार्ल मार्क्स


ज़मींदार , और सभी लोगों की तरह, वहां से काटना पसंद करते हैं जहाँ उन्होंने कभी बोया नहीं। -कार्ल मार्क्स


जबकि कंजूस मात्र एक पागल पूंजीपति है, पूंजीपति एक तर्कसंगत कंजूस है। -कार्ल मार्क्स


धर्म दीन प्राणियों का विलाप है , बेरहम दुनिया का ह्रदय है और निष्प्राण परिस्थितियों का प्राण है . यह लोगों का अफीम है। -कार्ल मार्क्स


बहुत सारी उपयोगी चीजों के उत्पादन का परिणाम बहुत सारे बेकार लोग होते हैं। -कार्ल मार्क्स


अनुभव सबसे खुशहाल लोगों की प्रशंशा करता है , वे जिन्होंने सबसे अधिक लोगों को खुश किया। -कार्ल मार्क्स


नौकरशाह के लिए दुनिया महज एक हेर-फेर करने की वस्तु है। -कार्ल मार्क्स


शांति का अर्थ साम्यवाद के विरोध का नहीं होना है। -कार्ल मार्क्स


ज़रुरत तब तक अंधी होती है जब तक उसे होश न आ जाये . आज़ादी ज़रुरत की चेतना होती है। -कार्ल मार्क्स


साम्यवाद के सिद्धांत का एक वाक्य में अभिव्यक्त किया जा सकता है: सभी निजी संपत्ति को ख़त्म किया जाये। -कार्ल मार्क्स


कोई भी जो इतिहास की कुछ जानकारी रखता है वो ये जानता है कि महान सामाजिक बदलाव बिना महिलाओं के उत्थान के असंभव हैं . सामाजिक प्रगति महिलाओं की सामजिक स्थिति, जिसमे बुरी दिखने वाली महिलाएं भी शामिल हैं,को देखकर मापी जा सकती है। -कार्ल मार्क्स


शायद ये कहा जा सकता है कि मशीनें विशिष्ट श्रम के विद्रोह को दबाने के लिए पूंजीपतियों द्वारा लगाए गए हथियार हैं। -कार्ल मार्क्स


एक भूत यूरोप को सता रहा है – साम्यवाद का भूत। -कार्ल मार्क्स


क्रांतियाँ इतिहास के इंजिन हैं। -कार्ल मार्क्स


पूँजी मजदूर की सेहत या उसके जीवन की लम्बाई के प्रति लापरवाह है ,जब तक की उसके ऊपर समाज का दबाव ना हो। -कार्ल मार्क्स


पिछले सभी समाजों का इतिहास वर्ग संघर्ष का इतिहास रहा है। -कार्ल मार्क्स


चिकित्सा संदेह तथा बीमारी को भी ठीक करती है। -कार्ल मार्क्स


इसलिए पूंजीवादी उत्पादन टेक्नोलोजी विकसित करता है , और तरह-तरह की प्रक्रियाओं को सम्पूर्ण समाज में मिला देता है; पर ऐसा वो सिर्फ संपत्ति के मूल स्रोतों – मिटटी और मजदूर को सोख कर कर करता है। -कार्ल मार्क्स


अगर कोई चीज निश्चित है तो ये कि मैं खुद एक मार्क्सवादी नहीं हूँ। -कार्ल मार्क्स


सामाजिक प्रगति समाज में महिलाओं को मिले स्थान से मापी जा सकती है। -कार्ल मार्क्स


लोकतंत्र समाजवाद का रास्ता है। -कार्ल मार्क्स


हमें ये नहीं कहना चाहिए कि एक आदमी के एक घंटे की कीमत दूसरे आदमी के एक घंटे के बराबर है , बल्कि ये कहें कि एक घंटे के दौरान एक आदमी उतना ही मूल्यवान है जितना कि एक घंटे के दौरान कोई और आदमी . समय सबकुछ है , इंसान कुछ भी नहीं : वह अधिक से अधिक समय का शव है। -कार्ल मार्क्स


लेखक इतिहास के किसी आन्दोलन को शायद बहुत अच्छी तरह से बता सकता है, लेकिन निश्चित रूप से वह इसे बना नहीं सकता। -कार्ल मार्क्स


पूँजी मृत श्रम है , जो पिशाच की तरह केवल जीवित श्रमिकों का खून चूस कर जिंदा रहता है , और जितना अधिक ये जिंदा रहता है उतना ही अधिक श्रमिकों को चूसता है। -कार्ल मार्क्स


धर्म लोगों का अफीम है। -कार्ल मार्क्स


मानसिक श्रम का उत्पाद – विज्ञान – हमेशा अपने मूल्य से कम आँका जाता है , क्योंकि इसे पुनः उत्पादित करने में लगने वाले श्रम-समय का इसके मूल उत्पादन में लगने वाले श्रम-समय से कोई सम्बन्ध नहीं होता। -कार्ल मार्क्स


जीने और लिखने के लिए लेखक को पैसा कमाना चाहिए , लेकिन किसी भी सूरत में उसे पैसा कमाने के लिए जीना और लिखना नहीं चाहिए। -कार्ल मार्क्स


बिना उपयोग की वस्तु हुए किसी चीज की कीमत नहीं हो सकती। -कार्ल मार्क्स


लोगों की ख़ुशी के लिए पहली आवश्यकता धर्म का अंत है। -कार्ल मार्क्स


समाज व्यक्तियों से नहीं बना होता है बल्कि खुद को अंतर संबंधों के योग के रूप में दर्शाता है, वो सम्बन्ध जिनके बीच में व्यक्ति खड़ा होता है। -कार्ल मार्क्स


पूंजीवादी समाज में पूँजी स्वतंत्र और व्यक्तिगत है , जबकि जीवित व्यक्ति आश्रित है और उसकी कोई वैयक्तिकता नहीं है। -कार्ल मार्क्स


जितना अधिक श्रम का विभाजन और मशीनरी का उपयोग बढ़ता है , उतना ही श्रमिकों के बीच प्रतिस्पर्धा बढती है , और उतनी ही उनका वेतन कम होता जाता है। -कार्ल मार्क्स


कारण हमेशा से अस्तित्व में रहे हैं , लेकिन हमेशा उचित रूप में नहीं। -कार्ल मार्क्स


सभ्यता और आमतौर पे उद्योगों के विकास ने हमेशा से खुद को वनों के विनाश में इतना सक्रीय रखा है कि उसकी तुलना में हर एक चीज जो उनके संरक्षण और उत्पत्ति के लिए की गयी है वह नगण्य है। -कार्ल मार्क्स


इतिहास कुछ भी नहीं करता . उसके पास आपार धन नहीं होता , वो लड़ियाँ नहीं लड़ता . वो तो मनुष्य हैं, वास्तविक , जीवित , जो ये सब करते हैं। -कार्ल मार्क्स


बिना किसी शक के मशीनों ने समृद्ध आलसियों की संख्या बहुत अधिक बढ़ा दी है। -कार्ल मार्क्स


दुनिया के मजदूरों एकजुट हो जाओ, तुम्हारे पास खोने को कुछ भी नहीं है ,सिवाय अपनी जंजीरों के। -कार्ल मार्क्स


शाशक वर्ग को कम्युनिस्ट क्रांति के डर से कांपने दो . मजदूरों के पास अपनी जंजीरों के आलावा और कुछ भी खोने को नहीं है . उनके पास जीतने को एक दुनिया है . सभी देश के कामगारों एकजुट हो जाओ। -कार्ल मार्क्स

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