विश्वनाथन आनंद – एक युवा भारतीय लड़का है, जो लगभग 70 के दशक में स्थानीय फिलीपींस टी वी स्टेशनों द्वारा प्रसारित लगभग सभी शतरंज पहेली और सिद्धांतों को सहज रूप से हल कर देता था। यह लड़का लगभग हर बार जीतता था। उनकी जीतने की इस आदत कर कारण स्टूडियो ने उन्हें बुलाया और उन्हें उससे भाग लेने से मना किया ताकि और लोगो को भी मोका मिल सकें। यह लड़का भारतीय शतरंज जादूगर, विश्वनाथन आनंद के अलावा अन्य कोई नहीं था।
आनंद की शुरुआत से ही बहुत तेज स्मरणशक्ति थी और उन्होंने 5 साल की उम्र में ही शतरंज खेलने की शुरुआत कर दी थी। बहुत शुरुआत से उन्हें Mikhal Tal Chess Club, चेन्नई ले जाया गया। आनंद ने चेन्नई में होने का फायदा उठाया क्योंकि मैनुअल हारून और रवि कुमार जैसे शतरंज चैंपियनों की मौजूदगी के कारण वहां शतरंज का एक बढ़िया माहोल था। Mikhal Chess Club, शतरंज प्रेमियों का केंद्र बन गया था और आनंद ने जितना संभव हो उतना खाली समय वहां बिताया।
क्लब में, एक बोर्ड को कमरे के मध्य में रखा जाता था, और दो खिलाड़ी टेबल पर बैठते थे। जितने वाला वही बैठा रहता था जबकि पराजित होने वाला अगले आने वाले के लिए जगह छोड़ देता था। दिलचस्प बात यह है कि, आनंद पहले गेम के लिए सीट पर बैठते और पूरा दिन खेलते रहते और एक खिलाड़ी के बाद एक खिलाड़ी को हराते रहते।
उपलब्धियां और सम्मान
विश्वनाथन आनंद पंद्रह वर्ष की आयु में अंतर्राष्ट्रीय मास्टर के ख़िताब को जीतने वाले सबसे कम उम्र के एशियाई थे। सोलह वर्ष की उम्र में वे राष्ट्रीय शतरंज चैंपियन बन गए, अठारह में भारत के प्रथम ग्रैंडमास्टर, 1987 में, विश्वनाथन आनंद विश्व जूनियर शतरंज चैंपियनशिप जीतने वाले पहले एशियाई बन गए। 1992 में, उन्होंने Reggio Emilia Tournament जीता। आनंद 1995 में विश्व चैम्पियनशिप के फाइनल में द्वितीय विजेता बनें। उन्होंने सितंबर 1996 में रैपिड शतरंज टूर्नामेंटमें कास्परोव और जून 1997 में हैम्बर्ग रैपिड शतरंज टूर्नामेंट में कार्पोव को हराया।
जुलाई 1999 में, आनंद ने सबसे लोकप्रिय शतरंज सॉफ्टवेयर प्रोग्राम Fritz को हरा दिया। इसके बाद, विश्वनाथन आनंद विश्व शतरंज चैंपियनशिप का खिताब जीतने वाले पहले एशियाई बने। उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन और उपलब्धियों के लिए आनंद ने कई पुरस्कार प्राप्त किए हैं। 1985 में उत्कृष्ट भारतीय खिलाड़ी के लिए अर्जुन पुरस्कार, पद्मश्री, राष्ट्रीय नागरिक सम्मान और सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार, 1987 प्राप्त कियें। विश्वनाथन आनंद को प्रतिष्ठित राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। आनंद ने 1997, 1998 और 2004 में प्रतिष्ठित “चेस ऑस्कर” जीता।
विश्वनाथन आनंद का व्यक्तिगत परिचय
विश्वनाथन आनंद का जन्म 11 दिसंबर, 1969 को चेन्नई में हुआ था। उनके पिता दक्षिण भारतीय रेलवे में एक उच्च अधिकारी थे जबकि उनकी मां सुशीला गृहिणी थीं। उनकी माँ एक शतरंज प्रेमी थी और 5 वर्ष की आयु में खेल में आनंद को चेस खेलने के लिए प्रेरित किया। जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, आनंद ने शुरुआत में ही अपनी प्रतिभा दिखाना शुरू कर दिया था और धीरे-धीरे बहुत ही कम उम्र में उन्होंने कई टूर्नामेंट जीतने के लिए शुरू कर दियें थे। आनंद ने लोयोला कॉलेज, चेन्नई से बी.कॉम की डिग्री प्राप्त की।
आनंद ने अरुणा से शादी की है, जो उनके टूर्नामेंट की तैयारी में उनकी मदद करतीं है। आनंद को अपनी किताब, “माय बेस्ट गेम्स ऑफ चेस” के लिए 1998 में ब्रिटिश फेडरेशन बुक ऑफ़ द इयर के अवार्ड से सम्मानित किया गया था। आनंद की रूचि पढनें, तैराकी और संगीत सुनने में हैं। आनंद को “वन मैन इंडियन चेस रेवोलुशन” के नाम से जाना जाता है जो भारत में अभिनव तरीकों के माध्यम से खेल को बढ़ावा देता है।
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