हवामहल – अकबर बीरबल नैतिक कहनियाँ

hawamahal akbar birbal moral story

एक दिन अकबर के मन में एक अजीब विचार आया. उन्होंने अपनी इच्छा अपने मंत्रियों को बताइए.

उन्होंने कहा – हम एक ऐसा महल बनाना चाहते हैं जो बिना किसी आधार के खड़ा हो. वह महल हवा में तैरता हुआ होना चाहिए. अब आप हमें बताइए यह कैसे किया जा सकता है?

सभी मंत्री यह सुनकर आश्चर्य चकित रह गए. तभी बीरबल दरबार में आते हैं. बीरबल को भी अकबर अपनी इच्छा बताते हैं.

बीरबल कहते हैं – जहांपनाह, इसमें तो कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन इसके लिए बहुत बड़ी धनराशि चाहिए और बहुत सारा समय भी.

बादशाह कहते हैं – कोई बात नहीं, तुम अपना काम कल से शुरू कर दो.

अगले दिन बीरबल ने अपने नौकरों 100 तोते लाने के लिए कहा जो उन्होंने अपनी बेटी को दे दिए और उससे कहा – बेटी, इन दोनों को तुम्हे कुछ बोलना सिखाना होगा. जैसे कि पानी लेकर आओ, इंटे लेकर आओ, आदि.

बीरबल की बेटी ने उनके कहे अनुसार तोतों को सिखाना शुरू कर दिया और कुछ महीनों तक वह यही करती रही.

एक दिन अचानक अकबर को अपने हवामहल की याद आई. उन्होंने तुरंत बीरबल को बुलवाया और पूछा बीरबल हमारे हवामहल का क्या हुआ? काम कहां तक पहुंचा है?

बीरबल कहते हैं – जहांपनाह, काम तो बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है.

बादशाह कहते हैं – बहुत खूब, हम उसे देखना चाहते हैं.

बीरबल कहते हैं – जरूर जहांपनाह, हम कल चलेंगे.

अगले दिन बीरबल ने उन तोतो को बहुत बड़ी बंद जगह पर खुला छोड़ दिया. अकबर जब उस जगह पर आए तो उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ. तोते आपस में बोल रहे थे पानी लेकर आओ, इटें लेकर आओ, आदि. यही सब दोहराते हुए तोते इधर उधर उड़ रहे थे.

यह सब देख कर अकबर आश्चर्य में पड़ गए. उन्होंने बीरबल की तरफ देखा और पूछा –
यह क्या है बीरबल हमारा महल कहां पर है?

बीरबल कहते हैं – जहांपनाह यह महल तो हवा में बन रहा है और हवा से बन रहा है इसलिए इसे देख नहीं सकते.

बीरबल का जवाब सुनकर बादशाह बहुत खुश हुए और कहां बहुत खूब बीरबल, तुम लाजवाब हो.

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