हम आपके लिए लाये हैं “Kadve Vachan In Hindi” आशा करता हूँ की ये आपको पसंद आएँगी

 

Kadve Vachan In Hindi
Kadve Vachan In Hindi

 

गुलाब काटों में भी मुस्कुराता हैं | तुम भी प्रतिकूलता में मुस्कुराओ, तो लोग तुमसे गुलाब की तरह प्रेम करेंगे | याद रखना जिन्दा आदमी ही मुस्कुराएगा, मुर्दा कभी नहीं मुस्कुराता और कुत्ता चाहे तो भी मुस्कुरा नहीं सकता, हसना तो सिर्फ मनुष्य के भाग्य में ही हैं | इसलिए जीवन में सुख आये तो हस लेना, लेकिन दुख आये तो हसी में उड़ा देना|


डॉक्टर और गुरु के सामने झूठ मत बोलिए क्योकि यह झूठ बहोत महंगा पड़ सकता हैं | गुरु के ससामने झूठ बोलने से पाप का प्रायश्चित नहीं होंगा, डॉक्टर के सामने झूठ बोलने से रोग का निदान नहीं होंगा | डॉक्टर और गुरु के सामने एकदम सरल और तरल बनकर पेश हो | आप कितने भी होशियार क्यों न हो तो भी डॉक्टर और गुरु के सामने अपनी होशियारी मत दिखाईये, क्योकि यहाँ होशियारी बिलकुल काम नहीं आती | –मुनिश्री तरुणसागर जी


भले ही लड़ लेना – झगड़ लेना, पिट जाना – पिट देना, मगर बोल चाल बंद मत करना क्योकि बोलचाल के बंद होते ही सुलह के सारे दरवाजे बंद हो जाते हैं | –मुनिश्री तरुणसागर जी

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धनाढ्य होने के बाद भी यदि लालच और पैसों का मोह हैं, तो उससे बड़ा गरीब और कोई नहीं हो सकता | प्रत्येक व्यक्ति ’लाभ’ की कामना करता हैं, लेकिन उसका विपरीत शब्द अर्थात ‘भला’ करने से दूर भागता हैं |


धन का अहंकार रखने वाले हमेशा इस बात का ध्यान रखे की पैसा कुछ भी हो सकता हैं, बहोत कुछ हो सकता हैं, लेकिन सबकुछ नहीं हो सकता हार आदमी को धन की अहमियत समझना बहोत जरुरी हैं| –मुनिश्री तरुणसागर जी


जीवन में शांति पाने के लिए क्रोध पर काबू पाना सिख लो | जिसने जीवन से समझौता करना सिख लिया वह संत हो गया | वर्तमान में जीने के लिए सजग और सावधान रहने की आवश्यकता हैं |


गुलामी की जंजीरों से स्वतंत्रता की शान अच्छी, हजारों रूपये की नौकरी से चाय की दुकान अच्छी |


कभी तुम्हारे माँ – बाप तुम्हें डाट दे तो बुरा नहीं मानना | बल्कि सोचना – गलती होने पर माँ – बाप नहीं डाटेंगे तो और कौन डाटेंगे, और कभी छोटे से गलती हो जाये और यह सोचकर उन्हें माफ़ कर देना की गलतिया छोटे नहीं करेंगे तो और कौन करेंगा | – मुनिश्री तरुणसागर जी


जिंदगी में माँ, महात्मा और परमात्मा से बढ़कर कुछ भी नहीं हैं | जीवन में तीन आशीर्वाद जरुरी हैं – बचपन में माँ का, जवानी में महात्मा का और बुढ़ापे में परमात्मा का | माँ बचपन को संभाल देती हैं, महात्मा जवानी सुधार देता हैं और बुढ़ापे को परमात्मा संभाल लेता हैं |- मुनिश्री तरुणसागर जी


रेस में जितने वाले घोड़े को तो पता भी नहीं होता की जित वास्तव में क्या हैं | वो तो अपने मालिक द्वारा दी गयी तकलीफ की वजह से दौड़ता हैं | तो जीवन में जब भी आपको तकलीफ हो और कोई मार्ग न दिखाई दे तब समझ जाईयेगा की मालिक आपको जितना चाहता हैं |


खिल सको तो फुल की तरह खिलो | जल सको तो दीप की तरह जलो | मिल सको तो दूध में पाणी की तरह मिलो | ऐसी ही जीवन की नीति हो, रीती हो और प्रीति हो | – मुनि प्रज्ञासागर


न तो इतने कड़वे बनो की कोई थूक दे, और ना तो इतने मीठे बनो की कोई निगल जाये |


सुंदर रूप वाला, यौवन से युक्त ऊचें कुल में उत्पन्न होने पर भी विद्या से हिन् मनुष्य सुगंध रहित फुल के समान रहता हैं | – आचार्य चाणक्य


रेस में जितने वाले घोड़े को तो पता भी नहीं होता की जित वास्तव में क्या हैं | वो तो अपने मालिक द्वारा दी गयी तकलीफ की वजह से दौड़ता हैं | तो जीवन में जब भी आपको तकलीफ हो और कोई मार्ग न दिखाई दे तब समझ जाईयेगा की मालिक आपको जितना चाहता हैं |


जीवन में शांति पाने के लिए क्रोध पर काबू पाना सिख लो | जिसने जीवन से समझौता करना सिख लिया वह संत हो गया | वर्तमान में जीने के लिए सजग और सावधान रहने की आवश्यकता हैं |


दान देना उधार देने के समान है | देना सीखो क्योंकि
जो देता है वह देवता है और जो रखता है वह राक्षक |


जब तुम्हारे मन में देने का भाव जागे तो समजना पुण्य का समय आया है |


ज्ञानी तो इशारे से ही देने को तेयार हो जाता है मगर नीच लोग
गन्ने की तरह कूटने- पीटने के बाद ही देने को राजी होते है |


अपने होश – हवास में कुछ दान दे डालो क्योंकि जो दे
दिया जाता वह सोना हो जाता है और जो बचा लिया जाता है वह मिट्टी हो जाता है |


भिखारी भी भीख में मिली हुई रोटी तभी खाए जब उसका एक टुकड़ा कीड़े – मकोड़े को डाल दे अगर वह ऐसा नहीं करता तो सात जन्मो तक भिखारी ही रहेगा |


सूर्योदयके साथ ही बिस्तर छोड़ देना चाहिए
ऐसा न करने से सिर पर पाप चढ़ता है | महिलाये जो की घर की लक्ष्मी है
इन लक्ष्मियों को सूर्योदय के साथ ही उठ जाना चाहिए | लक्ष्मण थोड़ी देर मे उठे
तो एक बार चल जायेगा , पर लक्ष्मी का देर से उठना बिलकुल नहीं चलेगा |
जिन घर – परिवारों मे लक्स्मन के साथ लक्ष्मी भी देर सुबह तक सोई पड़ी रहती हैउन घरो की ‘असली–लक्ष्मी‘ रूठ जाया करती है | और घर छोड़कर चली जाया करती है |

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