बहुत ही बड़े राज्य का राजा था. उसके महल में हर एक छोटी से लेकर बड़ी चीज उपलब्ध थी. उसे कोई भी कमी नहीं थी. फिर भी वह थोड़ा भी खुश और संतुष्ट नहीं रहता था. एक बार राजा अपने महल के अंदर टहल रहा था तभी उसने अपने वहां काम करते हुए एक नौकर को देखा. वह बहुत खुशी से काम करते हुए गाना गाया जा रहा था. राजा ने उस नौकर को इतना खुश देखकर सोचा कि मेरे पास इतनी बड़ी प्रजा है. हर चीज मेरे लिए उपलब्ध होते हुए भी मैं खुश नहीं हूं और यह नौकर उसके पास कुछ भी नहीं है. मेरे यहां नौकरी करने के बाद अपने घर चला जाता है. इसके बावजूद भी इतना खुश कैसे हैं. राजा ने आदेश दिया कि इस नौकर को मेरे सामने लाया जाए. नौकर डरता हुआ राजा के पास आया और हाथ जोड़कर खड़ा हो गया. राजा ने उसे डरा हुआ देख कर कहा कि डरो मत तुमसे कोई गलती नहीं हुई है. मैं बस एक प्रश्न का तुमसे उत्तर चाहता हूं कि तुम्हारे पास धन या जायदाद ना होने के बाद भी तुम इतने खुश कैसे हो. नौकर ने कहा सर आज मैं एक साधारण सा नौकर हूं. राजमहल में नौकरी करने के बाद अपने घर चला जाता हूं. आपकी मेहरबानी से खाने के लिए खाना मिल जाता है और रहने के लिए छत मुझे और मेरे परिवार को इस से ज्यादा की कोई चाह नहीं है. मगर नौकर के जवाब से राजा को संतुष्टि नहीं मिल रही थी. राजा ने अगले दिन एक सलाहकार को बुलाया और सलाहकार को अपनी सारी परेशानी और उस नौकर के बारे में बताया. राजा ने सलाहकार से कहा कि इसका सही कारण बताओ आखिर मैं खुश क्यों नहीं हूं. सलाहकार ने जवाब दिया महाराज मुझे लगता है नौकर ने अभी 99 का खेल नहीं खेला है इसीलिए वह अभी इतना खुश है. राजा आश्चर्य चकित होकर पूछा कि 99 का खेल क्या होता है. सलाहकार ने कहा आप आज रात को एक पोटली में 99 सोने के सिक्के भरकर उस नौकर के घर के बाहर रखवा दीजिए. फिर आपको सब आसानी से समझ में आ जाएगा. सलाहकार के कहने के अनुसार राजा ने 99 सोने से भरी सिक्कों की पोटली रखवा दी. सुबह उठकर जब नौकर ने दरवाजा खोला तो देखा कि उसके दरवाजे के पास एक पोटली पड़ी हुई है. वह पोटली को जल्दी से लेकर घर के अंदर लेकर गया और खोलकर देखा तो बहुत सारे सिक्के देख कर उसके होश ही उड़ गए. वह तो मानो खुशी के मारे पागल हुए जा रहा था. उसने जल्दी-जल्दी सिक्कों को गिनना शुरू किया. गिनने के बाद 99 सिक्के आए. उसने सोचा कि जरूर यह सो सिक्के हैं. शायद उसकी गिनने में गलती हुई है. फिर से उन सिक्कों को गिना लेकिन अभी 99 सिक्के ही थे. वह मन ही मन सोचने लगा कि जरूर इस पोटली में 100 सिक्के रहे होंगे और एक सिक्का कहीं गिर गया है. ऐसा सोचने के बाद वह काम पर नहीं गया और पूरे दिन उस सिक्के को खोजा. फिर रात में घर आया तो सोचा कि वह 100 सिक्के पूरे करके रहेगा भले ही वह उसे मेहनत करके कमाना पड़े. उस दिन के बाद से वह बहुत मेहनत करने लगा और अपने परिवार वालों को भी काम में सहयोग के लिए कहता था कि 100 सिक्के जल्दी से पूरा हो जाए. उस दिन के बाद से नौकर पूरी तरह बदल गया था. वह और उसके परिवार वाले बस 100 सिक्के पूरे करने के लिए रात को वह ठीक से सो नहीं पाते थे. इस सोच में कि वह कल क्या करें कि सारे पैसे कमा सके. राजा उस पर निगरानी रखे हुए था. उस नौकर के व्यवहार में इतना फर्क देखकर वह राजा बहुत ही आश्चर्य चकित था. राजा ने सलाहकार को बुलाकर पूछा कि आखिर नौकर में इतना परिवर्तन आया कैसे. इसका कारण क्या है? सलाहकार ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा यह 99 का खेल का मतलब लोग 99 को 100 करने के चक्कर में अपने आज को नष्ट कर देते हैं. हर समय और ज्यादा मेहनत करके नींद और भूख-प्यास खत्म करके और ज्यादा कमाने की कोशिश करने लगते हैं और हमेशा यही सोचते हैं कि मुझे इतना सा और मिल जाए फिर मैं बहुत खुश रहूंगा और कभी भी खुश और संतुष्ट नहीं हो पाते. राजा को अपना उत्तर मिल चुका था. राजा ने 1000 सिक्कों से उस सलाहकार को पुरस्कृत किया. दोस्तों आज हम सभी लोग 99 का खेल खेलने में लगे हुए हैं. आगे बढ़ने के नाम पर बस लालच को बढ़ाते जा रहे हैं. दोस्तों बस आप यह जान लीजिए कि काम का आलस और पैसो का लालच हमें कभी भी महान नहीं बनने देता.