एक दिन आम काटते समय बादशाह की उंगली कट गई. बीरबल भी उस समय उन्हीं के पास बैठे हुए थे.
यह देख कर बीरबल कहते हैं जहांपनाह जो होता है अच्छे के लिए होता है.
बादशाह कहते हैं – मेरी उंगली कट गई है और तुम्हें हंसी आ रही है. वे अपने सैनिकों को आदेश देते हैं कि बीरबल को कारागृह में डाल दो.
बीरबल इस पर भी कहते हैं – जो होता है अच्छे के लिए होता है.
दूसरे दिन बादशाह शिकार के लिए गए और वहां जंगल में रास्ता भूल गए. रास्ता खोजते हुए उन्होंने एक क्रूर आदिवासी इलाके में प्रवेश किया. वहां के आदिवासियों ने बादशाह को बंदी बना लिया.
आदिवासियों के सरदार ने कहा कि इस बंदी को लेकर आओ. हम इसकी बलि देंगे. उन्होंने बादशाह को एक लकड़ी से बांध दिया था. उनमें से एक आदिवासी ने गौर किया की बादशाह की उंगली कटी हुई है और अन्य आदिवासियों को बताया की हम इसकी बली नहीं दे पाएंगे. उसने कहा कि इसे छोड़ दो. यह सब देखकर बादशाह की आंखें खुल गई और उन्हें बीरबल की बात याद आई की जो होता है अच्छे के लिए होता है.
बादशाह अकबर ने बीरबल को कैद से आजाद करने की आज्ञा दी. उन्होंने बीरबल से कहा उस दिन जब तुम्हें कारागृह में डाल दिया गया तब भी तुमने यही कहा कि जो होता हैं अच्छे के लिए होता हैं. ऐसा कैसे?
बीरबल कहते हैं जहांपनाह, अगर आप मुझे कारागृह में नहीं डालते तो मैं आपके साथ होता और आदिवासियों ने आपको छोड़कर मुझे बली चढ़ाया होता.
बादशाह कहते हैं – तुम्हारा कहना सही है बीरबल जो होता है अच्छे के लिए होता है.