कटहल का पेड़ – Akbar Birbal ki Kahani

कटहल का पेड़ - Akbar Birbal ki Kahani

बीरबल को प्रकृति से बहुत प्रेम था और वे अपना ज्यादातर समय खुली हवा में बिताते थे. उनकी पसंदीदा जगह शहंशाह अकबर के शाही बाग थे. इन बागों की देखभाल एक मीर नाम का आदमी करता था.

वह एक शांत स्वभाव का ईमानदार व्यक्ति था वह बस अपने में और अपने बागों में व्यस्त रहता था.

बीरबल और मीर बागों के फल, फूल, पत्ते आदि के बारे में बड़ी दिलचस्प बातें किया करते थे. बीरबल मीर के साथ बहुत अच्छा सलूक किया करते थे और मेरी भी बीरबल को पसंद करता था.

एक दिन बीरबल एक बाग में घूम रहे थे तभी उन्होंने मीर को रोते हुए देखा. वह अमीर के पास गए और पूछ रहा हूं तुम रो क्यों रहे हो??

बहुत बार पूछने पर मीर ने बताया की मैं अपनी सारी जमा-पूंजी एक मटकी डालकर उसे इस पेड़ के नीचे छुपाता आया हूं और ऐसा मैं 20 सालों से कर रहा हूं परंतु यहां से उस मटके को किसी ने चुरा लिया है.

बीरबल ने कहा तुम अपना धन यहां पर क्यूँ रखते हो अपने घर पर क्यों नहीं?

मीर ने कहा मैं अपना ज्यादातर समय यही पर बिताता हूं इसलिए मैंने सोचा कि यहां पर मेरा धन सुरक्षित रहेगा और यह यह कहकर वह जोर जोर से रोने लगा.

बीरबल ने कहा तुम चिंता मत करो तुम्हें तुम्हारा दिन वापस मिल जाएगा. मुझे थोड़ा समय दो. यह कहकर वे वहां से चले गए.

इस बारे में बीरबल ने बहुत सोचा. वे यह जानना चाह रहे थे कि कौन व्यक्ति पेड़ के नीचे खुदाई कर सकता है? इसके लिए किसी के पास कोई ठोस कारण होना चाहिए और कुछ लोगों के अलावा यहां पर किसी को भी आने की इजाजत नहीं है. यहां केवल कुछ मंत्री ही आ सकते हैं.

अगले दिन बीरबल ने बादशाह अकबर को सारी बात बताई और उनसे मंत्रियों से कुछ पूछताछ करने के लिए इजाजत मांगी.

बादशाह ने इसकी इजाजत दे दी.

बीरबल ने मंत्रीयों से पूछा कि आप में से कोई इन दिनों बीमार थे? या आपको किसी दवाई की जरुरत पड़ी थी?

एक मंत्री ने कहा कि कुछ दिनों से मेरे गले में खराश है और मैं अपनी पत्नी की बनाई हुई एक दवा ले रहा हूं जो उसने से जयपुर से भेजी थी.

दुसरे मंत्री ने कहा कि मुझे कुछ समय से कब्ज़ है और मैं एक वैद्य से दवाई ले रहा हूं जो कि इसी राज्य के हैं.

बीरबल ने उन मंत्री जी से पुचा क्या हम उन वैध्य को दरबार में बुला सकते हैं? मंत्री ने कहा- जी जरूर.

उस वैद्य को दरबार में बुलाया गया. बीरबल ने उनसे कहा- वैद्य जी मुझे बहुत समय से कब्जे की शिकायत है. आपने मंत्री जी को कोई दवाई दी थी जिससे उनका कब्ज दूर हो गया. क्या मुझे भी वह दवाई दे सकते हैं? मैं भी बहुत समय से कब्ज से परेशान हूं.

वैद्य जी ने कहा जी जनाब मैं जरूर आपको वह दवाई दे दूंगा.

फिर बीरबल ने पूछा कि आप बहुत दवाई कैसे बनाते हैं? दवाई को बनाने में क्या-क्या चीजें काम में आती है?

वैध्य जी ने कहा अगर कोई और होता तो मैं उसे इस बारे में नहीं बताता लेकिन आप पूछ रहे हैं तो बताता हूं कि उसे बनाने के लिए एक विशेष पेड़ की जड़ का प्रयोग किया जाता है.

बीरबल ने कहां फिर तो मुझे और ज्यादा परेशान होना पड़ेगा. ऐसा पेड़ आखिर कहां मिलेगा?

वैध्य जी ने कहा- घबराने की बात नहीं है हुजूर. एक ऐसा पेड़ शहंशाह के बगीचे में ही है.

बीरबल ने कहा – वैध्य जी मैं आपको केवल एक मौका दूंगा सच बोलने का और पैसे वापस लौट आने का जो कि आपको उस पेड़ के नीचे से मिले हैं. यह पैसे मीर के हैं जो की उस बैग का माली हैं.

वैध्य जी ने कहा – हुजूर, मुझे माफ कर दीजिए. मुझे वह मटका पेड़ के नीचे मिला था और मैंने सोचा कि कोई इसे वहां रख कर भूल गया है इसलिए मैंने लालच में आकर वह मटका ले लिया था. मुझे माफ कर दीजिए मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई है. मैं ऐसा कभी नहीं करुंगा हुजूर.

बीरबल ने बादशाह अकबर से कहा हुजूर हमें इन्हें माफ कर देना चाहिए सच बोलने के लिए.

बादशाह के कहा- ठीक है बीरबल. अगर तुम्हें ऐसा लगता है तो हम इन्हें माफ कर देते हैं.

बीरबल ने कहा – हुजूर, हमें मीर को बुलाकर यह खुशखबरी सुनानी चाहिए.

मीर को दरबार में बुलाया गया और बीरबल ने उन्हें बताया कि उसके पैसे मिल चुके हैं यह सुनकर मीर बहुत खुश हुआ और उसने बीरबल का धन्यवाद किया.

बीरबल ने कहा रुको मीर. पहले यह बताओ कि उस घड़े में कितने पैसे थे?

मीर ने बताया कि उसमें 75 सोने की अशर्फियां थी.

बीरबल ने कहा तुम्हें तुम्हारे पैसे वापस मिल जाएंगे लेकिन उनमें से 10 कम मिलेंगी तुम्हारी बेवकूफी के लिए जो तुमने पैसों को ऐसी जगह पर छुपाया. यह 10 अशर्फियां वैद्य जी को सच बोलने के लिए दिए जाएंगे.

बादशाह ने कहा वाह बीरबल तुमने क्या कमाल का इंसाफ किया है.. मुझे फक्र है तुम पर. पर तुम्हें एक वैध्य की बात कैसे सूझी?

बीरबल ने कहा हुजूर एक वैध के पास ही कोई ठोस कारण हो सकता है उस पेड़ के नीचे खुदाई करने का वरना और कोई तो फल तोड़ेगा जेड नहीं.

बीरबल की यह बात सुनकर बादशाह और भी खुश हुए और बीरबल की तारीफ करने लगे.

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