एक बार बादशाह अकबर अपनी रानी को एक हार तोफे में देते हैं.रानी को हार बहुत बहुत पसंद आता है और फिर वे कहती की मैं सदा इसे अपने साथ रखूंगी. यह कहकर वे बादशाह का धन्यवाद करती हैं
अगले दिन जब रानी तैयार हो रही होती है तभी देखते हैं कि हार के डिब्बे में से हार गया है. यह देख कर वे बहुत परेशान हो जाती हैं और सोचती है कि जब इसके बारे में बादशाह अकबर को पता चलेगा तो वह बहुत दुखी होंगे. मैं उन्हें किस मुंह से इसके बारे में बताऊंगी रानी ऐसा सोचने लगती हैं.
रानी अपनी दासी को बुलाती है और पूछती हैं कि क्या तुमने कोई हार देखा था? मेरा हार मिल नहीं रहा है.
दासी कहती हैं रानी साहिबा आप बिल्कुल भी परेशान ना हो. आपका हार मिल जाएगा. आप आज दूसरा हार पहन लीजिए.
रानी कहती है नहीं नहीं मैं कोई दूसरा हार नहीं पहन सकती. वह हार मुझे बादशाह ने दिया था. मैं उन्होंने यूँ मायूस नहीं कर सकती, वह हर मुझे ढूंढना ही होगा.
तभी बादशाह अकबर रानी के कमरे में आते हैं उन्हें रानी बहुत ही दुखी प्रतीत होती हैं. वे उनसे कहती है आप बहुत ही मायूस होंगे. मैं आपसे माफ़ी मांगती हूं. आपने जो हार मुझे दिया था उसे मैं संभाल नहीं पाई. वह मुझसे कहीं खो गया है.
बादशाह ने कहा – यह कैसे हुआ? क्या आपने अपने कमरे में ठीक से देखा? आपने उसे बाहर तो नहीं गिरा दिया?
रानी ने कहा कि रात को हमने उससे यही पर उतार कर रखा था और उसके बाद हम बाहर भी नहीं गए तो उसे यहीं पर होना चाहिए लेकिन हार हमें नहीं मिल रहा है. हमें इस बात का बहुत बुरा लग रहा है.
बादशाह ने कहा कहा आप परेशान न हो. आज रात आप हमारे कमरे में विश्राम करें. कल तक आपको हार मिल जाएगा.
बादशाह ने अपने सिपाहियों को बुलाया और कहा कि जाओ रानी के कमरे की ठीक से तलाशी लो. वहां एक हार गिर गया है उसे ढूंढ कर हमारे पास लेकर आओ.
सैनिकों के बहुत ढूंढने पर भी उन्हें वह हार नहीं मिला. इस पर बादशाह बहुत गुस्सा हुए. सैनिक ने कहा शायद हार चोरी हो गया है. कुछ दिनों में महल में और भी चोरीयां हुई है. महल के पहरेदारों ने छानबीन की लेकिन कुछ भी हाथ नहीं लगा.
बादशाह ने कहा महल में चोरियां हो रही है और तुमने मुझे बताया भी नहीं.
उन्होंने सैनिक को आदेश दिया जाओ और जाकर बीरबल को बुलाकर लाओ अब वही इस समस्या का हल निकाल सकते हैं.
बीरबल के आने पर बादशाह ने उन्हें बताया कि कैसे महारानी का हार चोरी हो गया है और अब आपको उसे ढूंढना है.
बीरबल ने कहा रात को कमरे के पास मौजूद सैनिक और दासियों को महारानी के कमरे में बुलाया जाए. तब तक मैं अपने दोस्त को लेने जा रहा हूं
बादशाह ने कहा – हम आपके दोस्त को पैगाम भेज कर भी बुला सकते हैं लेकिन बीरबल ने कहा कि मेरा दोस्त जादूई शक्तियों का मालिक है. वह इस चोरी के बारे में बता देगा. उसे लेने तो मुझे ही जाना पड़ेगा.
बादशाह ने कहा ठीक है लेकिन तुम जल्दी आना हमें आज ही इस मसले को सुलझाना है.
अगले दिन बीरबल एक गधे के साथ दरबार में आए और उन्होंने कहा यह मेरा दोस्त है. यही बताएगा की चोरी किसने की है.
बीरबल ने उस गढ़े को एक कमरे में बांध दिया और सभी सैनिकों और दसियों से कहा कि तुम्हें अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए इस गधे की पूंछ पकड़कर कहना है कि मैंने चोरी नहीं की है.
सभी बारी-बारी से आए और उन्होंने गधे की पूंछ पकड़कर कहा कि मैंने चोरी नहीं की है.
इसके बाद बीरबल ने सभी के हाथ सुनना शुरू किया और एक सैनिक की तरफ इशारा करते हुए कहा कि यही आपका चोर है.
बादशाह ने कहा – आप यह कैसे कह सकते हैं??
सैनिक ने कहा कि हुजूर मैंने आपकी वर्षों तक सेवा की है. मैं कोई चोर नहीं हूं. इस गधे की गवाही कुछ भी साबित नहीं करती और बीरबल केवल गधे की जुबान कैसे समझ सकते हैं??
बादशाह ने भी पूछा बताइए बीरबल आप गधे की जुबान कैसे समझे?
बीरबल ने कहा – हुजूर मैंने गधे की पूछ में एक खास इत्र लगा दिया था. इसी वजह से मैंने सभी को गधे की पूंछ पकड़कर कहने के लिए कहा क्योंकि मैं जानता था कि चोर पकड़े जाने के डर से गधे की पूंछ को हाथ नहीं लगाएगा और बिल्कुल वैसा ही हुआ. मैंने सभी के हाथों की जांच की और सभी के हाथों से वैसे ही खुशबू आ रही थी सिर्फ इस सैनिक को छोड़कर.
राज खुले जाने के डर से इसने गधे की पूंछ पकड़ी ही नहीं.
बीरबल ने आगे कहा यह गधा मेरे धोबी का है और इसमें कोई भी जादू शक्तियां नहीं है.
बादशाह ने अपने सैनिकों का आदेश दिया इस सैनिक को कारागाह में डाल दो. इसकी इतनी हिम्मत कैसे हुई. इसे अभी यहां से ले जाओ.
बादशाह ने बीरबल की प्रशंसा की और कहा बीरबल आपने चोर को पकड़ने में हमारी मदद की आपका बहुत-बहुत शुक्रिया.