Magical Sticks - Akbar Birbal Stories in Hindi

मणिलाल एक सौदागर था. वह बहुत ईमानदार और भरोसेमंद आदमी था. वह मेहनत करके धन कमाता था और अपनी मेहनत से कमाया हुआ धन एक थैले में डालकर अपने बिस्तर के पास पड़े संदूक में बंद करके रखता था. एक दिन रात को जब वह सो रहा था तो एक चोर आया और संदूक में से धन चुरा कर ले गया. सुबह जब मणिलाल उठा तो उसने देखा कि संदूक का ताला खुला हुआ है और उसमें से धन गायब है. उसने तुरंत अपने सिपाहियों को बुलाया और पूछा कि मेरा सारा धन चौरी हो गया. क्या तुमने किसी अजनबी को घर के अंदर आते देखा था?

मणिलाल ने अपने आप से कहा कि मैं बर्बाद हो गया हूं. अब आगे क्या किया जाए मेरा धन मुझे कैसे मिलेगा? इस पर सैनिक ने एक मार्ग सुझाया. उसने कहा कि आप को शहंशाह अकबर के पास जाना चाहिए शायद वह आपकी मदद कर पाएं.

मणिलाल को भी सैनिक की बात सही लगी और उससे निश्चय किया कि वह अकबर के पास जाएगा.

वह अकबर के दरबार में पहुंचा और उसे बताया कि रात को वह संदूक में धन रखकर सोया था लेकिन जब सुबह उठा तो सारा धन गायब था. अब मुझे बस आपसे आखिरी उम्मीद है.

अकबर ने कहा बड़े दुख की बात है पर तुम घबराओ मत हम इस मामले की तह तक जाएंगे.

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शहंशाह अकबर ने बीरबल से कहा कि बीरबल हम चाहते हैं कि इसका हल तुम निकालो.

बीरबल ने भी इसके लिए हामी भर दी. उसने मणिलाल से पूछा कि क्या तुम्हें किसी पर शक है जो यह काम कर सकता है? पता है यह किसी घरवाले का ही काम है क्योंकि कोई बाहर का आदमी यह काम इतनी सफाई से नहीं कर सकता और चोर जानता था कि तुम चाबी कहां छुपा कर रखते हो.

मणिलाल ने कहा जनाब मेरे नौकर काफी सालों से मेरे साथ रहे हैं और काफी इमानदार और वफादार है और वैसे भी उन पर शक करने के लिए मेरे पास कोई सबूत नहीं है.

शहंशाह अकबर ने बीरबल से पूछा क्या तुम यह समस्या सुलझा पाओगे और वह भी बिना किसी गवाह और सबूत के?

इस पर बीरबल ने कहा जी हुजूर मैं इसे जरूर सुलझा दूंगा लेकिन उससे पहले मुझे आधे घंटे के लिए कहीं बाहर जाना होगा.

अकबर ने इसके लिए इजाजत दे दी.

बीरबल ने मणिलाल से कहा कि इस दौरान तुम अपने सारे नौकरों और सिपाहियों को दरबार में पेश करो.

बीरबल आधा घंटे बाद सभा में वापस आया और अपने साथ कुछ लकड़ियां लेकर आया.

इस पर अकबर ने पूछा कि बीरबल तुम यह लकड़ियां लेकर क्यों आए हो?

बीरबल ने कहा जहांपनाह आपके सभी प्रश्नों का उत्तर मिल जाएगा. फिर उसने मणिलाल के घर से आए सैनिकों और नौकरों को कहां की सभी लोग अपने पास एक एक लकड़ी रख ले. और उसने यह भी बताया कि यह जादुई लकड़ियां है जिन्हें उसे एक महान साधु ने दी थी. साधु को यह लकड़ियां बहुत लंबी तपस्या के बाद प्राप्त हुई थी. यह सब एक ही लंबाई की हैं और इनमें बहुत शक्ति है चोर के पास जो लकड़ी है वह सुबह तक लंबी हो जाएगी और पता चल जाएगा कि चोर कौन है.

अकबर ने बीरबल से कहा कि क्या तुम्हें पूरा यकीन है कि है यह जादुई लकड़ीया हैं?

बीरबल ने कहा जी हुजूर मैंने बहुत बार इनका इस्तेमाल किया है.

बीरबल की बात सुनकर अकबर ने कहा अगर ऐसा है तो मैं चाहता हूं कि कल तुम सब लकड़ियों के साथ सभा में हाजिर हो.

अगले दिन सभी सभा में उपस्थित थे. वहां अकबर ने बीरबल को आदेश दिया कि पता करो कि इनमें से चोर कौन है.

बीरबल ने कहा मैं अभी किए देता हूं

बीरबल ने सभी से कहा कि अपनी-अपनी लकड़ी दें ताकि वह उनका माप ले सकें. सभी से लकड़ी लेने के बाद ने उसने बताया कि चोरी सिपाही ने की है.

उसने अकबर को बताया कि सिपाही की लकड़ी, सभी लकड़ियों में थोड़ी छोटी है. यह जादुई लकड़ियां नहीं है यह तो मामूली लकड़ियां है जो कि एक ही लंबाई में कटी हुई थी. क्योंकि यह चोर था उसने सोचा कि इसकी लकड़ी लंबी हो जाएगी इसलिए उसने इसे थोड़ा सा काट दिया.

यह सब सुनकर सैनिक बीरबल के चरणों में गिर पड़ा और माफी मांगने लगा और यह कबूल कर लिया कि उसने अपने मालिक के कमरे से पैसे चुराए थे. जब राजा बीरबल ने लकड़ी के बारे में कहां तो मैं डर गया था और सोचा कि अगर इसे थोडा सा छोटा किसका बर्थडे है कर दूं तो बच जाऊंगा. मुझे पैसे की जरूरत थी पर मैं शर्मिंदा हूं. मैंने वैसे एक पैसा खर्च नहीं किया. अभी पूरी रकम तुरंत वापस लौटा दूंगा

मणिलाल ने अकबर और बीरबल का बहुत-बहुत धन्यवाद दिया और वहा से चला गया.

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