
आंखों में मंजिले थी, गिरे और संभलते रहे
आंधियों में क्या दम था, चिराग हवा में भी जलते रहे
आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसे शक्स की, एक ऐसे कलाकार की जिसने अपने अद्भुत इमैजिनेशन से दुनिया के अनगिनत बच्चों के बचपन में खुशियां बिखेरी है। ये हैं मिकी माउस जैसे बहुत सारे फेमस कार्टून के जन्मदाता वाल्ट डिज्नी की। जिन्हें एनिमेशन फिल्मों में उनके योगदान के लिए 22 बार ऑस्कर दिया गया है जो कि अपने आप में एक विश्व रिकॉर्ड है। उनके द्वारा बनाई गई कंपनी द वाल्ट डिज्नी कंपनी आज दुनिया के टॉप मीडिया कंपनी में शामिल है जो अरबों खरबों रुपए का बिजनेस करती है लेकिन Disney ने जिन संघर्षों के बाद यह मुकाम हासिल किया था मुझे नहीं लगता उनके अलावा यह किसी और के बस की बात है।
आइये उनके जीवन को शुरू से जानते हैं
वाल्ट डिज्नी का जन्म 5 सितंबर 1901 को अमेरिका के illinois राज्य में हुआ था। उनके पिता का नाम इलियास डिज्नी था जो एक किसान थे और एक बढई का भी काम करते थे लेकिन आगे चलकर इस कामो से गुजरा नहीं होने के कारण उन्होंने बाजार में फल बेचने का भी काम किया। हालांकि अलग-अलग काम करने के बावजूद भी उनके पास इतने पैसे नहीं हो पाते थे कि उनका पूरा परिवार अच्छे से गुजारा कर सके और वह अपने बच्चों को स्कूल भेज सकें इसलिए उन्होंने अपना खेत बेच दिया और 1906 में एक छोटे से गांव मार्सेलीन मिसोरी में आकर बस गए। यहां पर वाल्ट के अंकल की जमीन पहले से ही थी।
वाल्ट के अलावा उनके तीन भाई एक छोटी बहन भी थी। उन्हें शुरू से ही ड्राइंग करना बहुत पसंद था। वह जमीन और दीवारों पर कुछ ना कुछ बनाते रहते थे। एक बार तो उन्होंने अपनी छोटी बहन के साथ मिलकर तारकोल से अपने घर की दीवार पर पेंटिंग बना दी और पूरा दिवार काला हो गया जिससे उन्हें अपने पिता से बहुत डांट सुननी पड़ी थी। डिज्नी ने 7 साल की उम्र में अपने पड़ोसी के घोड़ों की ड्राइंग बनाएं और वह उनके पडोसी को इतना पसंद आया कि उन्होंने उस ड्राइंग को पैसे देकर खरीद लिया और इस तरह यह वाल्ट डिज्नी के जीवन की पहली कमाई थी। अगर बात की जाए वाल्ट डिज्नी के सबसे करीबी की तो वह उनके भाई roy थे जिसके साथ वह अपना पूरा समय बिताते थे।
1909 के लास्ट में वाल्ट डिज्नी का एडमिशन पास के स्कूल में कराया गया लेकिन उनका परिवार पैसे की दिक्कत की वजह से उस गांव में ज्यादा दिन तक नहीं रह सका और फिर वे 1911 में आर्थिक तंगी झेलते हुए कनसास नाम के एक शहर में रहने आ गए जहां वाल्ट के पिता को आखिरकार न्यूज़ पेपर और मैगजीन बांटने का काम मिल गया। कुछ पैसे इकट्ठा होने के बाद उन्होंने वाल्ट का एडमिशन बेनटेन ग्रामर स्कूल स्कूल में करा दिया लेकिन न्यूज़पेपर ज्यादा होने की वजह से वाल्ट और उनके भाई roy को साथ में हाथ बटाना पड़ता था। रोज सुबह 4:30 कड़ाके की ठंड में पेपर बांटने जाना पड़ता था। पेपर बांटने के बाद वह स्कूल चले जाते थे और शाम को फिर स्कूल से वापस आने के बाद फिर से मैगजीन बाटने निकल जाते थे। वाल्ट और roy सभी कामों से इतने थक जाते थे कि स्कूल की क्लास में ही सो जाते थे और इसीलिए वह अपनी क्लास के सबसे कमजोर स्टूडेंट में गिने जाते थे लेकिन इतनी कठिनाई भरे दिनों में भी वाल्ट ने ड्राइंग से कभी भी कंप्रोमाइज नहीं किया और उन्हें जब भी थोड़ा सा टाइम मिलता तो वह मैगजीन के कवर को देख कर या फिर आपने दिमाग में कुछ भी सोच कर ड्राइंग बनाया करते थे।
वाल्ट अक्सर अपने घर के पास एक सलून में जाकर ड्राइंग बनाया करते थे और उनकी ड्राइंग इतनी अच्छी होती थी सैलून का मालिक उनकी ड्राइंग के बदले में मुफ्त में उनके बाल काटता था और जब कभी बाल कटवाने की जरूरत नहीं होती थी तो पैसे भी देता था लेकिन वे उन ड्राइंग को पैसे की लालच में नहीं बनाते थे बल्कि इसलिए बनाते थे क्योंकि सैलून का मालिक उनकी ड्राइंग को अपने दीवार में फ्रेम करवाकर लगा लेता था। बहुत सारे लोग उनकी ड्रॉइंग को देखकर उन्हें शाबाशी देते थे जिससे Disney को दिल से खुशी मिलती थी और उनका मनोबल बढ़ता था।
Disney को वह दिन भी देखने पड़े जब उन्हें ट्रेन में जा कर पॉपकॉर्न, कोल्ड ड्रिंक और पानी की बोतलें बेचनी पड़ी और इस तरह के बहुत सारे काम करते हुए कुछ पैसे कलेक्ट करने के बाद डिज्नी ने कनसास सिटी आर्ट इंस्टिट्यूट में आर्ट की वीकेंड क्लासेस लेनी शुरू कर दी। आगे भी कुछ सालों तक यूं ही संघर्ष और पढ़ाई चलती रही और फिर 1918 में पहले विश्व युद्ध के बाद Disney ने अमेरिकी सेना में जाने के लिए अप्लाई किया लेकिन कम उम्र की वजह से उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया और फिर उन्होंने अपनी डेट ऑफ बर्थ को बदलकर रेड क्रॉस में एंबुलेंस चलाने के लिए ड्राइवर की पोस्ट के लिए अप्लाई किया जहां उन्हें सेलेक्ट कर लिया गया और उनकी पोस्टिंग फ्रांस में कर दी गई।
वाल्ट डिज्नी अभी तक बहुत सारी अलग-अलग काम किए जा रहे थे लेकिन उनके दिमाग में हमेशा के आर्ट के फील्ड में कुछ कर गुजरने का मन था। वह अपने एंबुलेंस तक को अपने आर्ट से सजाकर रखते थे। डिज्नी ने अक्टूबर 1919 को एंबुलेंस चलाने की जॉब को छोड़ दिया और फिर वापस अमेरिका आ गए क्योंकि उनकी Payman रुबीन कमर्शियल आर्ट स्टूडियो में एक आर्टिस्ट के तौर पर उनकी जॉब लग गई थी लेकिन 1920 में उन्हें जॉब से यह कहकर निकाल दिया कि उनके अंदर क्रिएटिविटी नहीं है और उनमें कल्पना शक्ति की कमी है और वह किसी भी खूबसूरत चीज का निर्माण नहीं कर सकते लेकिन यह बात disney के दिल को ठेस कर गई। उन्होंने हर चीज से समझौता किया था पर अपने ड्राइंग से कभी भी नहीं। अपने इन्हीं अपमानों का बदला लेने के लिए Disney ने एक छोटी सी कंपनी खोली लेकिन पैसों की कमी की वजह से उनकी कंपनी जल्द ही दिवालिया हो गई। Disney के पास पॉकेट में केवल 20 डॉलर और कागज के गत्ते का सूटकेस बचा था जिसमें एक तरफ उनके कुछ कपड़े और दूसरी तरफ ड्राइंग बनाने के कुछ सामान रखे थे लेकिन उन्होंने अपने प्रयासों को अपनी कोशिशों को कभी भी नहीं छोड़ा और अपने भाई roy द्वारा बचाए गए $2000 की मदद से एक और कंपनी बनाई जिसका नाम Disney ब्रदर्स स्टूडियो रखा और फिर बाद में इसका नाम बदलकर द वाल्ट डिज्नी रख दिया गया और दोस्तों कहते हैं ना कि ।।।
हार मानो नहीं तो कोशिश बेकार नहीं होती
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।।।
disney ब्रदर्स द्वारा बनाई गई यह कंपनी बहुत ही जल्दी चल पड़ी और फिर आगे चलकर उन्होंने बहुत सारे लोगों को जॉब पर रखा। अब वाल्ट डिज्नी का जीवन काफी हद तक पटरी पर आ चुका था। उन्होंने जुलाई 1925 में लिलियन नाम की लड़की से शादी कर ली जो उनकी कंपनी में बतौर आर्टिस्ट का काम करती थी।
अब बात करते हैं उस कार्टून करैक्टर कि जिसने वाल्ट Disney को शिखर तक पहुंचा दिया। 1928 में न्यूयॉर्क से कैलिफ़ोर्निया जाते समय ट्रेन में कागज पर वाल्ट ने कुछ अजीबोगरीब कार्टून बनाना शुरु किया और अंत में उन्होंने एक चूहे के आकार का ड्राइंग बनाया जिसका नाम उन्होंने अपनी पत्नी के कहने पर मिक्की रखा और फिर उस ड्राइंग का एनिमेशन बनाकर उन्होंने मिक्की को अपना आवाज दिया। 18 नवंबर 1928 को वाल्ट डिज्नी ने एनिमेशन का पहला शो मैनहट्टन में दिखाया जिसे लोगों ने बहुत पसंद किया और फिर उसके बाद से वर्ल्ड डिज्नी ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक के बाद एक बेहतरीन एनिमेशन फिल्में इस दुनिया को दी। उन्होंने पूरी दुनिया से 950 से ज्यादा भी पुरस्कार और सम्मान प्राप्त किए। इतना ही नहीं इस फिल्म इंडस्ट्री के सबसे बड़े पुरस्कार ऑस्कर के लिए 59 बार का नॉमिनेशन किया और 22 बार इसे जीतने में सफल हुए।
आखिरकार इस दुनिया में एनीमेशन फिल्मो को नई ऊंचाई देने के बाद 15 दिसंबर 1966 को वाल्ट डिज्नी ने इस दुनिया को अलविदा कहा।
आप भी लाइफ में किन्ही मुसीबतों से गुजर रहे हैं तो एक बात याद रखिए…
मुश्किलें केवल बेहतरीन लोगों के हिस्से में आती है क्योंकि वह लोग ही उसे बेहतरीन तरीके से अंजाम देने की ताकत रखते हैं।
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