कुछ समय पहले एक गांव में रामू नाम का व्यापारी अपनी पत्नी लक्ष्मी के साथ रहता था. वह बहुत अमीर था और परोपकारी भी. उसके घर पर मेहमानों का तांता लगा रहता था और वह मेहमानों की खूब आवभगत करता था.
परंतु एक बार उसे व्यापार में बहुत घाटा लगा और वह पूरी तरीके से कंगाल हो गया. अब मेहमानों ने उसके यहां पर आना बंद कर दिया था. उसके दोस्तों ने भी उसका साथ छोड़ दिया था. एक दिन जब वह अपनी पत्नी के साथ बैठा था तब वह कहता है कि अब हमारे घर पर कोई नहीं आता, ना कोई मेहमान ना ही कोई दोस्त लेकिन इसमें उनका भी क्या दोष है? अगर वह यहां पर आए भी तो मैं उनके लिए कुछ नहीं कर सकता. परंतु जब मेरे पास धन था तब क्या नहीं किया मैंने उनके लिए. मेरी इमानदारी दयालुता और मेहमानों का सत्कार सब व्यर्थ हो गया. बिना पैसे इन्सान की क्या दशा हो सकती है मुझसे अच्छा कोई नहीं समझ सकता. मैं तो बेकार हूं, मुझे जीने का कोई अधिकार नहीं है. मेरा मर जाना ही ठीक है ऐसा सोचते सोचते रामू को नींद आने लगी और वह सो गया.
उसने सपने में देखा 1 साधू उससे कह रहा था कि तुम्हें निराश होने की जरूरत नहीं है. तुम्हारे जैसे अच्छे इंसान को तो जिंदा रहना चाहिए. जब तुम सुबह उठोगे तो मैं तुम्हारे सामने इसी रूप में प्रकट होऊंगा. मेरे सिर पर तुम डंडा दे मारना और मैं उसी समय शुद्ध सोने की मुद्राओं में तब्दील हो जाऊंगा. तुम्हे इतना धन प्राप्त हो जाएगा कि तुम सारी जिंदगी खर्च करते रहोगे तब भी वह धन खत्म नहीं होगा.
अगली सुबह जब वीरेंद्र सोकर उठा तो उसने सोचा कि यह क्या सपना था?? सपने भी कोई भला सच होते हैं!!!
उसने अपनेआप से कहा – नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता. मुझे अपनी पत्नी को भी इसके बारे में नहीं बताना चाहिए. इससे वह मेरा मजाक बनाएगी. तभी किसी ने दरवाजा खटखटाया. व्यापारी ने अपनी पत्नी से दरवाजा खोलने के लिए कहा. दरवाजे पर नाई था. नाई ने रामू की दाढ़ी बनानी शुरू ही की थी कि दोबारा से किसी ने खटखटाया. इस बार रामू ने गेट खोला और उसने देखा की दरवाजे पर वही स्वप्न वाला साधु था. उसे देखकर रामू चौंक गया. उसने साधु को अंदर बुलाया और उनके सर पर जोर से डंडा दे मारा. वह साधु उसी समय शुद्ध मुद्राओं में बदल गया.
रामू को लगा कि अब हमारे बुरे दिनों का अंत हो गया है. उसने सोचा कि यह नाई इस बात को बाहर जाकर किसी और को नहीं बतायें इसके लिए इसे थोड़ा धन दे देना चाहिए. उसने नाई को थोड़ा सा धन दे दिया और कहा कि इस बारे में किसी और को मत बताना.
नाई वहां से चला गया लेकिन वह रास्तें में यही सोचता रहा की यदि वह भी इसी तरह अगर किसी साधु के सर पर डंडा मारे तो उसे भी बहुत सारा धन प्राप्त हो सकता है. तभी उसे रास्ते में कुछ साधु दिखाई पड़ते हैं. वह उनसे कहता है कि मैं आपको कुछ धन दान देना चाहता हूं. कृपया मेरे घर पधारें.
साधु उसके साथ चलने के लिए राजी हो जाते हैं. जैसे ही वे साधु नाई के घर में प्रवेश करते हैं, नाई जोर जोर से उनके सर पर डंडे बरसाना शुरू कर देता है. वह उन्हें इतना मारता है कि सभी साधु मर जाते हैं. साधुओं की पिटाई की आवाज बाहर खड़े सैनिक सुन लेते हैं और वे नाई को पकड़कर राजा के सामने पेश करते हैं. राजा नाई से पूछता है – अरे वो महामूर्ख नाई, तूने ऐसा क्यों किया? इतने साधुओं की हत्या क्यों कर दी? तब नाई राजा को सारी बात बताता है. राजा, रामू को दरबार में पेश करने का आदेश देता है.
रामू दरबार में आता है और राजा को सारी बात बताता है. तब जाकर नाई को पता पड़ता है कि सच्चाई क्या है!!! उसे खुद पर गिलानी होती हैं कि उसने यह सब क्या कर दिया. वह बहुत बड़ा मूर्ख है. राजा अपने सैनिकों को आदेश देता है की वे नाई को पकड़कर ले जाए और जेल में डाल दें.
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