चार दोस्त – Four Friends Panchatantra Short Stories in Hindi

 

चार दोस्त - Panchatantra Short Stories in Hindi

एक गांव में चार ब्राह्मण रहते थे जो बचपन से एक साथ बड़े हुए थे. उनमें से 3 पढने-लिखने में लगे रहते थे और चौथे का पढ़ाई में बिल्कुल भी मन नहीं लगता था.

1 दिन 3 मित्र इकट्ठे हुए. उनमें से एक बोला क्यों ना हम शहर की ओर जा कर अपनी किस्मत चमकाए. जो कुछ ज्ञान हमने प्राप्त किया है उसका फल हमें यहां गांव में नहीं मिल सकता.

दूसरा मित्र कहता है – बात तो तुम ठीक कह रहे हो लेकिन हम अपने चौथे मित्र बिरजू को साथ में लेकर नहीं जाएंगे वह तो एकदम गवार है. वह हम पर बोझ बनकर रहेगा.

तभी तीसरा मित्र कहता है यह बात तो ठीक है उसे कुछ आता नहीं है लेकिन हमारा बचपन साथ में बिता है. हम उसे यहां अकेले नहीं छोड़ सकते. चाहे जो भी हो उसे ले चलते हैं. हम जो भी कमाएंगे उसमें से थोड़ा बहुत धन उसे भी दे देंगे.

पहला मित्र कहता है ठीक है जैसी तुम्हारी मर्जी. ऐसा कहते हुए वह चारों शहर की ओर चल दिए.

वह रास्ता एक जंगल से होकर गुजरता था. जब विचारों जंगल के भीतर कुछ दूर तक पहुंचे कि अचानक उन्हें एक हड्डियों का एक ढांचा दिखाई दिया.

उनमें से एक मित्र ने कहा – होना न हो यह हड्डियां बब्बर शेर की लगती हैं. दूसरे के दिमाग में तभी एक तरकीब आती है और वह कहता है क्यों ना हम अपने ज्ञान की परीक्षा यहीं पर कर ले. मैं इन हड्डियों को इकट्ठा करके कंकाल का रुप दे सकता हूं. तभी पहला मित्र कहता हैं अगर तुम कंकाल खड़ा कर सकते हो तो मैं इसमें त्वचा और मांसपेशियों भर सकता हूं. तीसरे मित्र ने कहा मैं इसमें जान डाल सकता हूं.

चौथा मित्र जोकि अनपढ़ था वह एकदम चुप रहा. उसने सोचा अगर ऐसा हो गया तो अनर्थ हो जाएगा. वह शेर जिन्दा होकर सभी को खा जायेगा. उसने ऐसा करने से अपने सभी मित्रो को मना किया लेकिन वे नहीं मानें और उनमें से एक ने हड्डियों का ढांचा खड़ा किया, दूसरे ने उस में त्वचा भरी और तीसरे ने उसमें जान डाल दी.

शेर जिन्दा होता इससे पहले ही चौथा मित्र पेड़ पर चढ़ गया था. जैसे ही शेर जिंदा हुआ वह उन तीनो पढ़े लिखे मित्रों को खा गया और वह चौथा मित्र जोके अनपढ़ता वह बच गया.

इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें कोई भी कार्य बहुत ही सोच समझकर करना चाहिए और हमें अपने ज्ञान को सही जगह पर उपयोग में लेना चाहिए.

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