स्वार्थी पति पत्नी – Panchtantra Ki Kahaniya

नदी के किनारे एक छोटा सा गांव था. लोग अपना पेट पालने के लिए उस नदी से मछली पकड़ने का काम करते थे. रमेश नाम का एक मछुआरा सुबह जल्दी ही अपने बेटे के साथ नदी पर पहुंचा और उसने अपने बेटे से कहा अरे बेटा पप्पू हम आज नदी पर सबसे पहले आ गए हैं. बाकी के लोग आयें उससे पहले हम ढेर सारी मछली पकड़ लेते हैं.

वह अपने बेटे से कहता है की बेटा तुम जाओ और मुझे परेशान मत करना. बेटा कहता है – ठीक है, बापू मैं जाता हूं. रमेश ने अपना काटा निकाला और उसे पानी में डाल दिया. फिर वह मछली के फंसने का इंतजार करने लगा. परन्तु उसका कांटा चट्टान में फंस जाता हैं.

थोड़ी देर बाद कांटा भारी हो जाता हैं. रमेश सोचता है कि आज तो बड़ी जल्दी मछली फंस गई है और वह कांटे को और जोर से खींचने लगा. बहुत जोर लगाने पर भी काटा बाहर नहीं आया. इस पर उसने सोचा जरूर कोई बड़ी मछली होती है. उसके दिमाग में आया की इस कांटे के निकलने तक मुझे लोगों को यहां से आने तक रोकना होगा.

उसने अपने बेटे से कहा – जा, अपनी मां को बोल एक बहुत बड़ी मछली हाथ आई है. वह बहुत भारी है. मुझे उसे निकालने में थोड़ी देर हो जाएगी. तुम अपनी मां को कहना कि वह लोगों को यहां आने से रोके नहीं तो सभी अपना हिस्सा मांगने लग जाएंगे. पप्पू ने घर जाकर अपनी मां को सब कुछ बता दिया. लोग नदी किनारे ना जाए इसके लिए रमेश की पत्नी ने एक कुटिल योजना बनायीं. वह अपनी पड़ोसन मीनू से लड़ने लगी. रमेश की पत्नी मीनू पर इल्जाम लगाने लगी कि उसने उसकी साड़ी चुराई है. यह सुनकर मीनू भी लड़ने लगती हैं. झगड़ा इतना बढ़ जाता हैं कि सारे गांव के लोग वहां पर इकट्ठे हो गए.

वही रमेश नदी पर कोशिश किए जा रहा था लेकिन कांटा टस से मस होने का नाम नहीं ले रहा था. बहुत कोशिश के बाद भी जब कांटा बाहर नहीं निकला तो रमेश ने नदी में अंदर जाकर देखा की काटा तो एक चट्टान के बीच में फंसा हुआ है. कांटे को बाहर निकालने की कोशिश में उसके सर पर चोट आ गई और वह नदी के बाहर आ गया. दूसरी तरफ सरपंच ने मीनू के घर की तलाशी लेनो को कहां. मीनू के घर पर चोरी की हुई साड़ी नहीं मिली. इससे सरपंच समझ गया कि रमेश की पत्नी झूठ बोल रही है. उसने रमेश की पत्नी को एक महीने तक मीनू के घर पर काम करने की सजा सुनाई.

रमेश जब घर पहुंचा तो वह अपनी पत्नी का लटका हुआ मुंह देख कर समझ गया कि जरूर कुछ गलत हुआ है. उसने अपनी पत्नी को कहा कि हमारे हाथ आज कुछ नहीं लगा. अब हम भविष्य में ऐसी गलती कभी नहीं करेंगे.

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