Charlie Chaplin Biography In Hindi
Charlie Chaplin Biography In Hindi

दोस्तों एक बार की बात है जब महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन मशहूर कॉमेडियन चार्ली चैप्लिन से मिले। उन्होंने चार्ली से कहा कि मैं आपका फैन हो गया हूं। आप मुह से एक शब्द तक नहीं कहते फिर भी पूरी दुनिया आपको समझ जाती है। इसके जवाब में चार्ली ने कहा यह बात सच है लेकिन हैरानी की बात यह है आप अपनी थ्योरी के बारे में इतना कुछ कहते हैं और सब आपकी तारीफ करते हैं पर फिर भी किसी की समझ नहीं आ पाता कि आप कहना क्या चाहते हैं।

चार्ली चैप्लिन दुनिया के सबसे मशहूर कॉमेडियन थे जिन्होंने बिना कुछ कहे अपनी एक्टिंग और कॉमेडी से एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में एक ऐसी चमक बिखेरी जो शायद कभी नहीं मिटेगी। बहुत कम लोग जानते हैं उनके मुस्कुराते हुए चेहरे के पीछे संघर्षपूर्ण जीवन के बारे में। वहा गरीबी और बदहाली की भट्टी में पक कर ऐसा सोना बने जिसकी चमक ने करोड़ों लोगों के चेहरे पर मुस्कान बिखेरी। आइए जानते हैं उनके जीवन के बारे में।

चार्ली चैप्लिन का जन्म एडोल्फ हिटलर के जन्म 4 दिन पहले 16 अप्रैल 1889 को लंदन शहर में हुआ। इनके पिता Charles Chaplin और मां Hannah Chaplin थी। उसके माता पिता दोनों संगीत हॉल परंपरा में मनोरंजक थे। उनके पिता एक गायक और अभिनेता थे और उनकी माँ एक गायक और अभिनेत्री थी। चार्ली का बचपन बहुत ही मुश्किलों से गुजरा। एक बार चार्ली की माँ स्टेज पर गाना गा रही थी तभी उनकी आवाज बंद हो गई और वह स्टेज पर गाना ना गा सकी। वहां की ऑडियंस हंगामा करने लगी और जूते चप्पल स्टेज पर फेंकने लगी। ऐसे में अपनी मां को बचाने के लिए लगभग 5 साल के चार्ली चैप्लिन स्टेज पर आ गए और उन्होंने अपनी भोली आवाज में मां के गाने की नकल की जो ऑडियंस  उसको काफी फनी लगी और ऑडियंस ने उन्हें काफी सराहा। स्टेज पर सिक्को की बारिश होने लगी और 5 साल की उम्र में यह चार्ली चैप्लिन की पहली कमाई थी। तभी से चार्ली ने इस बात को गांठ बांध ली थी की असल जिंदगी में जो गरीबी उनके दुख का कारण थी स्टेज पर वही लोगों को कॉमेडी लगती है। यही वजह थी आगे चार्ली की फिल्मों में दुख, गरीबी, अकेलेपन और बेरोजगारी को उन्होंने कॉमेडी के रूप में प्रजेंट किया।

इसके कुछ दिन बाद Charlie के माता-पिता तलाक लेकर अलग हो गए। चार्ली को अपने मां साथ एक अनाथ आश्रम में रहना पड़ा क्योंकि उनकी मां के पास कोई रोजगार नहीं था तो अनाथालय में उनकी मां एक मानसिक रोगी बनकर पागल हो गई। उसके बाद कोर्ट ने चार्ली और उनके भाई को पिता के साथ रहने का आदेश दिया। पिता ने दूसरी शादी कर ली थी और सौतेली मां ने चार्ली और उनके भाई पर अनेकों अत्याचार किए।

इसके कुछ दिन बाद उनकी मां पागल खाने से ठीक होकर वापस आई  तो उनके जीवन में खुशियां वापस लौटने लगी। चार्ली स्कूल तो जाते थे लेकिन उनका मन पढ़ाई में नहीं लगता था। वह एक एक्टर ही बनना चाहते थे। वह पैसे कमाने के लिए स्टेज शो करते थे और रोजमर्रा की जरुरतों के लिए बहुत से छोटे मोटे काम कर रहे थे। उनके जीवन का लक्ष्य एक्टर बनना ही था। इसलिए वह नियमित रुप से ब्लैकमोर थिएटर जाते थे। एक बार वह एक स्टेज शो कर रहे थे तभी उन पर डायरेक्टर की नजर पड़ी उन्होंने चार्ली की अभूतपूर्व क्षमता को उसी वक्त पहचान लिया। उस डायरेक्टर के माध्यम से चार्ली की मुलाकात E हैमिल्टन से हुई। हेमिल्टन ने चार्ली को शरलॉक होम्स नाटक में रोल ऑफर किया था। चार्ली को पढ़ना नहीं आता था तो इसलिए डायलॉग को उन्होंने रटना शुरू किया। शरलौक होम्स सीरीज में एक्टिंग करके उन्होंने खूब शौहरत कमाई। हालांकि इसके बाद भी कुछ समय तक चार्ली का जीवन गर्दिशे के  दौर में गुजरा।

चार्ली 5 फुट 5 इंच की छोटी हाइट वाले दुबले पतले इंसान थे जो लोगों को अपनी एक्टिंग से गरीबी और बेकारी में भी खुश मिजाजी भरा जीवन जीने की प्रेरणा देते थे। इतिहास गवाह है उस दौर में पूरी दुनिया विश्वयुद्ध और आर्थिक मंदी की तबाही से गुजर रही थी। चारों तरफ तानाशाहों का आतंक था। ऐसे मैं उनसे लड़ने के लिए चार्ली ने कॉमेडी का सहारा लिया। चार्ली के जीवन में एक ऐसा दौर भी आया जब वह अपने इंटरव्यू में वामपंथियों का पक्ष लेते हुए दिखे। जिसके बाद मीडिया ने चार्ली पर रूसी एजेंट होने का आरोप लगाया। 10 साल  तक अमेरिकी सरकार और मीडिया चार्ली के लिए आफत बनी रही। चार्ली की फिल्म लाइमलाइट 1952 में रिलीज हुई लेकिन अमेरिका में उस फिल्म को बैन कर दिया। चार्ली को अमेरिका से बहुत लगाव था उन्होंने यही पर अपनी पहली शादी की थी। लेकिन अमेरिका की बेरुखी से वह अंदर तक टूट चुके थे। उनकी पत्नी और वह अमेरिका की नागरिकता वापस लौटा कर लंदन आ गए लेकिन यहां सही घर नहीं मिलने की वजह से वह स्विट्जरलैंड जाकर बस गए। यहीं पर चार्ली की मुलाकात जवाहरलाल नेहरू और उनकी बेटी इंदिरा से हुई चार्ली ने अपनी आत्मकथा में लिखा वह महात्मा गांधी के विचारधारा से प्रेरित हुए।

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एक बार चार्ली कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल से मुलाकात के दौरान उन्होंने गांधी से मिलने की इच्छा जाहिर की।  सहयोग से उस समय गांधीजी गोलमेज सम्मेलन के लिए लंदन आए हुए थे जहां चार्ली की गांधी जी से मुलाकात बहुत ही रोमांचक ढंग से हुई। गांधी जी एक झुग्गियों वाले इलाकों में डेरा डाले हुए थे जहां चार्ली चैप्लिन खुद जाकर उनसे मिलने पहुंच गए। जहां चार्ली ने भारत की आजादी पर हो रहे आंदोलनों पर अपना नैतिक समर्थन दिया। चार्ली को अपने अभिनय और कॉमेडी के लिए अनेक अवार्ड मिले।

1940 में द ग्रेट डिटेक्टर के लिए उन्हें बेस्ट एक्टर। 1952 में उनकी फिल्म लाइमलाइट ने म्यूजिक के लिए ऑस्कर अवार्ड जीता। चार्ली की प्रसिद्ध इतनी है कि 1995 में ऑस्कर अवॉर्ड के दौरान द गार्जियन न्यूज़ पेपर ने एक सर्वे किया जो यह जानना चाहता था कि दर्शकों का पसंदीदा एक्टर कौन है। सर्वे रिपोर्ट को देखते हुए किसी को आश्चर्य नहीं हुआ कि चार्ली अधिकतर लोगों की पसंद है। आज भी वह लगभग सभी के दिलों में बसते हैं। उनकी एक्टिंग से आज की पीढ़ी भी सीख ले रही है और आज भी कई एक्टर उनके एक्टिंग की नकल करते हैं। माइकल जैक्सन ने चार्ली चैप्लिन के लिए कहा था कि वह उनके जैसा बनना चाहते हैं। उनका जीवन एक ऐसा कहानी है जो दुख दर्द और आंसुओं के साए में भी खुशियों से हंसना सिखाती है। 1977 में जब दुनिया 25 दिसंबर यानी क्रिसमस के दिन जीसस क्राइस्ट का जन्म दिन मना रही थी उसी दिन कॉमेडी के महानायक चार्ली चैप्लिन इस दुनिया को अलविदा कह कर चले गए। आज भले ही चार्ली चैप्लिन इस दुनिया में ना हो पर उनका अभिनय आज भी उदास चेहरों पर मुस्कान ला रहा है। यह ब्लॉग पोस्ट चार्ली चैप्लिन को समर्पित है जिन्होंने कहा था मेरा दर्द किसी के लिए हंसने की वजह हो सकता है पर मेरी हंसी कभी किसी के दर्द का कारण नहीं बननी चाहिए।

चार्ली चैप्लिन ऐसे इंसान थे जिन्होंने सक्सेस की इतनी ऊंची उड़ान भरी फिर भी उनके पाव जमीन से जुड़े रहे। उनकी लाइफ बहुत ही इंस्पायरिंग है जिससे सभी को सबक लेनी चाहिए।

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