“गुजर गया वक्त जब हम तुम्हारे तल्बगार थे, अब जिंदगी बन जाओ तो भी हम कबूल नही करेंगे ।”
“लोग अपना बना के छोड़ देते हैं, अपनों से रिशता तोड़ कर गैरों से जोड़ लेते हैं, हम तो एक फूल ना तोड़ सके, नाजाने लोग दिल कैसे तोड़ देते हैं.”
दिल ही दिल में कुछ छुपाती है वो, यादों में आ कर चैन चुराती है वो,ख्वाबों में एक ऐहसास जगा रखा है, बन्द आँखों में अश्क बन के तडपाती है वो..
मेरा यूँ टुटना और टूटकर बिखर जाना कोई इत्फाक नहीं.. किसी ने बहुत कोशिश की है मुझे इस हाल तक पहुँचाने में…
उसके दिल पर भी, क्या खूब गुज़री होगी..जिसने इस दर्द का नाम, मोहब्बत रखा होगा..!
“ये तो बस वही जान सकता है मेरी तनहाई का आलम जिसने जिन्दगी में किसी को पाने से पहले खोया है |”
“समझ न सके उन्हें हम, क्योकि हम प्यार के नशे में चूर थे । अब समझ में आया जिसपे हम जान लुटाते थे, वो दिल तोरने के लिए मशहूर थे !”
युं तो गलत नही होते अंदाज चहेरों के..लेकिन लोग, वैसे भी नहीं होते जैसे नजर आते है..
“बेवफ़ाओं की महफ़िल लगेगी, आज ज़रा वक़्त पर आना मेहमान-ए-ख़ास हो तुम |”
“तौहीन न करना कभी कह कर”कड़वा” शराब को किसी ग़मजदा से पूछियेगा इसमें कितनी मिठास है !”
उन्होंने हमसे दो चार बाते क्या कर ली। अब वो कहने लगे आप हमे परेशान करने लगे हो।
“हालात ने तोड़ दिया हमें कच्चे धागे की तरह, वरना हमारे वादे भी कभी ज़ंजीर हुआ करते थे ।”