रजिया सुल्तान का जीवन परिचय | रजिया सुल्तान का इतिहास

razia sultan biography in hindi

Razia Sultan Biography in Hindi

रज़िया सुल्तान का जन्म 1205  में हुआ था।  रज़िया बहुत  बहादुर थी और एक मात्र महिला थी जिन्होंने दिल्ली पर राज किया।  वो अपने पिता इल्तुतमिश के बाद 1236  में राजा बानी थी।  वो बहुत बहादुर और कुशल शाशक थी।  एक कुशल योद्धा होने के कारन ही वो दास वंश की सुल्तान बानी।  यध्यपि  उन्होंने 3 साल राज किया पर इतने  कम समय में ही उन्होंने इतिहास में अपना नाम अमर कर दिया। दिल्ली में स्थित उनका मखबरा आज भी हमें उनकी बहादुरी की कहानी सुनाता है।

प्रारंभिक जीवन – रज़िया सुल्तान अपने पिता इल्तुतमिश की एकलौती पुत्री थी। रज़िया के 3 भाई थे।  उनके पिता दिल्ली में क़ुतबुद्दीन के दरबार में दास का काम करते थे। क़ुतबुद्दीन उनके कठिन परिश्रम से इतने खुश हुए कि उन्होंने उसे कार्यकारी राज्यपाल बना दिया।  क़ुतबुद्दीन के अच्छे राज में उनका अहम भूमिका थी इसलिए कुतबुद्द्दीन अपनी बेटी की शादी इल्तुतमिश से  कर दी।

कुतबुद्द्दीन की मृत्यु के बाद उनका  पुत्र आराम बक्श ने 1210 में राजा बना। वो एक अच्छा  राजा नहीं था इसलिए इल्तुतमिश ने उसे हराकर  राज अपने काबू  लिया।

इल्तुतमिश  एक अच्छे राजा ही नहीं थे बल्कि एक आज़ाद दिमाग वाले इंसान थे।  उन्होंने देखा कि उनकी सभी संताने लड़ाई का अच्छा प्रक्षिक्षण ले रहे है। उन्होंने यह भी देखा की उनकी पुत्री उनके अन्य पुत्रो से अधिक सक्षम थी।  उनके पुत्रो का अधिकतर समय सिर्फ विलासिता में ही व्यतीत हो रहा था।  इसलिए उन्होंने अपनी मुस्लिम परंपरा को तोड़ कर अपनी पुत्री रज़िया को आने वाला सुल्तान बनाने की घोषणा कर दी जो कि प्रथम महिला राजा थी।

इल्तुतमिश की मृत्यु के बाद उनके एक बेटे रुकनुद्दीन ने ताज पर अधिकार कर लिया तथा 7 महीने तक राजा बना रहा।  1236  में रज़िया सुल्तान ने अपने सभी भाइयो को हराकर ताज अपने अधिकार में ले लिया।

जल्द ही उन्होंने राज संभाल लिया और सभी मुद्राओ पर अपना नाम अंकित करवा दिया।  वो एक अछि राजा सिद्ध हुई और राज्य में जनता का और अन्य चीज़ों का ध्यान रखा।  उन्होंने कई लड़ाईया लड़ी और अपनी सल्तनत को बढ़ाया।  वो एक अच्छी  व्यवस्थापक भी सिद्ध हुई।

उन्होंने अपने राज्य में कई स्कूल और मंदिर बनवाये। उनके राज्य में सभी धर्म के लोग एक साथ रहते थे।  हिन्दुओ के द्वारा किये गए कार्य व अविष्कार भी उन विध्यालयो में पढाये जाते थे।

उनका राज बहुत दिनों तक नहीं चला क्योंकि तुकी समुदाय  के लोग उनसे जलते थे और उन्हें सुल्तान के रूप में नहीं देख सकते थे।  उन्होंने रज़िया के खिलाब विद्रोह की योजना बनाई।

प्यार के अलावा रज़िया सुल्तान को कोई सकता था।  उनके अंत के पीछे उनके प्यार ही हाथ था।  जमालुद्दीन याक़ूत एक अफ़्रीकी दास  था और उनका प्रेमी भी माना  जाता था।

रज़िया का अंत – जब भटिंडा के राज्यपाल  खिलाफ विद्रोह किया वो भी तुर्की विद्रोहियों से मिल गया।  जब रज़िया दिल्ली से बहार थी तो उन्होंने उनके भाई बहराम को सुल्तान बना दिया।  तभी खुदको बचाने के भटिंडा के राज्यपाल  अल्तुनिया से विवाह कर लिया।  उन दोनों से दिल्ली से  युद्ध किया, पर वे बहराम से  हार  गए। 14 अक्टूबर, 1240 को दोनों की हत्या कर दी गयी।

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